वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देगी योगी सरकार, नीति में होगा बदलाव

कोरोना काल में भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तैयारी कर रही है। अधिकारियों ने इसकी नीति में खामियां को दूर करने की तैयारी की है।

लखनऊ। कोरोना काल में भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार  वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तैयारी कर रही है। अधिकारियों ने इसकी नीति में खामियां को दूर करने की तैयारी की है। योगी सरकार ने मार्च-2017 में सत्ता संभालने के बाद एक वर्ष में जो एक दर्जन नई नीतियां जारी की थी, उसमें हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंट पॉलिसी-2017 भी शामिल थी। सरकार ने फरवरी-2018 की इन्वेस्टर्स समिट से पहले 25 जनवरी-2018 को इस नीति की अधिसूचना जारी की थी। तब से कई बार नीति के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। लेकिन ढाई वर्ष बाद अब विभाग का कहना है कि नीति के तहत आए प्रस्तावों के परीक्षण में कठिनाई आ रही है। नीति में कई महत्वपूर्ण तकनीकी शब्दों की परिभाषा ही नहीं है। 

इससे प्रस्तावों के परीक्षण में स्पष्टता नहीं आ पा रही है।अब नीति में तकनीकी शब्दों की परिभाषा स्पष्ट करने व अन्य प्रावधानों के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस पर विभागों से परामर्श चल रहा है। इसे जल्दी ही कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की योजना है। विभाग का दावा है कि नीति में इन प्रावधानों को शामिल करने से निवेशकों को नीति के तहत पारदर्शी तरीके से प्रोत्साहन व सहूलियतों का लाभ मिल सकेगा।ऑनलाइन-ऑफलाइन का घालमेलविभाग ने प्रस्ताव में कहा है कि नीति की पारदर्शिता व तेज क्रियान्वयन के लिए ऑनलाइन वेब एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर तैयार कराया जाएगा।

इससे प्रस्तावों के परीक्षण में स्पष्टता नहीं आ पा रही है। अब नीति में तकनीकी शब्दों की परिभाषा स्पष्ट करने व अन्य प्रावधानों के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस पर विभागों से परामर्श चल रहा है। इसे जल्दी ही कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की योजना है।

इसमें लाभार्थियों को ऑनलाइन आवेदन की सुविधा मिलेगी। आवेदनों पर विभाग सभी कार्यवाही ऑनलाइन करेगा और विभिन्न प्रकार के आंकड़ों का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार होगा। यहां गौर करने वाली बात है कि विभाग ने ढाई साल बाद ऑनलाइन सॉफ्टवेयर निर्माण कराने की तो बात कही, लेकिन सॉफ्टवेयर निर्माण में अधिक समय लगने का हवाला देकर नीति के ऑफलाइन मोड में क्रियान्वयन का भी रास्ता निकाल लिया है। प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि ऑफलाइन मोड में नीति का क्रियान्वयन सॉफ्टवेयर तैयार होकर समुचित तरीके से शुरू होने तक होता रहेगा। नीति में यह परिभाषा होगी शामिल- कट ऑफ तिथि का मतलब निवेश प्रारंभ करने की उस तिथि से है, जिसका विकल्प आवेदक ने चुना है।- वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की प्रभावी तिथि का मतलब इकाई ने जिस दिन वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ।- नीति की प्रभावी तिथि का मतलब 13 जुलाई, 2017 होगी।- पात्र पूंजी निवेश का मतलब इकाई ने अपनी श्रेणी के अनुसार तय अवधि में जितना निवेश किया।- स्वीकार्य पूंजी निवेश का मतलब एमएसएमई इकाइयों के लिए पात्र पूंजी निवेश का 120%, वृहद श्रेणी में 100 फीसदी है। 

मेगा व सुपर मेगा श्रेणी के लिए बुंदेलखंड व पूर्वांचल क्षेत्र में पूंजी निवेश का 300% व मध्यांचल में 200% है। पश्चिमांचल में गौतमबुद्धनगर को छोड़कर 100% तथा गौतमबुद्धनगर के लिए 80 प्रतिशत माना जाएगा। नीति की सुविधाएं प्राप्त करने के लिए स्वीकार्यता तिथि इकाई के पात्र पूंजी निवेश की सीमा प्राप्त कर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की तिथि को माना जाएगा। एमएसएमई इकाइयों के लिए निवेश की पात्र अवधि नीति की प्रभावी अवधि के तहत पड़ने वाली कट ऑफ तिथि से तीन वर्ष अथवा वाणिज्यिक उत्पादन के शुरू होने की तिथि, जो भी पहले हो, तक मानी जाएगी। 

हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग निदेशालय के मुताबिक यूपी हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल व गारमेंट नीति-2017 के तहत नोएडा, कानपुर नगर, कानपुर देहात, अलीगढ़, वाराणसी, अयोध्या व बरेली जिलों से 34 वस्त्र इकाइयों के प्रस्ताव मिले हैं।इन प्रस्तावों के जरिए इकाइयां 400 करोड़ रुपये निवेश व 3000 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। इनमें से एमएसएमई श्रेणी के 21 प्रस्तावों पर वित्तीय लाभ देने का सहमति पत्र देने के लिए परीक्षण की जिम्मेदारी यूपीएफसी को दी गई है।वृहद, मेगा व सुपरमेगा श्रेणी के 12 प्रस्ताव  परीक्षण के लिए पिकप भेजे गए हैं। इनमें से दो को सहमति पत्र जारी कर दिया गया है। 

First Published on: July 20, 2020 10:34 AM
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