वाशिंगटन। राष्ट्रपति जो बाइडन ने समूचे विश्व में लोकतंत्र के ‘अवमूल्यन’ पर बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त की और साथी विश्व नेताओं से लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए उनके साथ काम करने का आह्वान किया। बाइडन ने यह बात चीन और रूस की तरफ से वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के प्रयासों के मद्देनजर कही जो उनके प्रशासन के लिए चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है।
व्हाइट हाउस के पहले ‘लोकतंत्र के लिए ऑनलाइन सम्मेलन’ में 100 से अधिक नेताओं के लिए बाइडन की टिप्पणियां ऐसे वक्त में आई हैं जब नेताओं ने लोकतंत्र के सामने आ रही भ्रष्टाचार, असमानता और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश जैसी कई चुनौतियों की ओर इशारा किया। नेताओं ने दुष्प्रचार और निरंकुशता को बढ़ावा देने के खतरों के बारे में भी चिंता व्यक्त की।
बाइडन ने पूछा, “क्या हम अधिकारों और लोकतंत्र के अवमूल्यन को अनियंत्रित रूप से जारी रहने देंगे? या हम साथ मिलकर एक दृष्टिकोण बनाएंगे और एक बार फिर मानव प्रगति और मानव स्वतंत्रता की यात्रा को आगे बढ़ाने का साहस दिखाएंगे?” उन्होंने चीन और रूस का नाम लिये बिना बार-बार यह बात उठाई कि अमेरिका और समान विचारधारा वाले सहयोगियों को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि लोकतंत्र निरंकुशता की तुलना में समाज के लिए एक बेहतर माध्यम है। यह बाइडन की विदेश नीति के दृष्टिकोण का एक केंद्रीय सिद्धांत है – एक ऐसी प्रतिबद्धता है जिसे वह अपने पूर्ववर्ती ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण की तुलना में अधिक समावेशी बताते हैं।
बाइडन ने रेखांकित किया कि अमेरिका जैसे लंबे समय से स्थापित लोकतंत्र भी इस अवमूल्यन से अछूते नहीं हैं, और उन्होंने इस क्षण को “इतिहास में परिवर्तन बिंदु” कहा। उन्होंने कहा कि स्कूल बोर्ड की बैठकों, चुनाव कार्यालयों और टाउन हॉल में असंतोष के साथ टकराव के बीच स्थानीय निर्वाचित अधिकारी खतरनाक दर से इस्तीफा दे रहे हैं। राज्य मतपत्र तक पहुंच को सीमित करने के लिए कानून पारित कर रहे हैं, जिससे अमेरिकियों के लिए मतदान करना अधिक कठिन हो गया है। और छह जनवरी को कैपिटल में हुए हमले ने डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के कई लोगों को चुनाव में हुई चोरी के झूठे दावों पर कायम रखा और वोट की सटीकता में लोगों के विश्वास को क्षीण किया।
बाइडन ने कहा, “हम जानते हैं कि हमारे लोकतंत्र और हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।” राष्ट्रपति ने घोषणा की कि वह दुनिया भर में ऐसे कार्यक्रमों के लिए 42.4 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की पहल शुरू कर रहे हैं जो स्वतंत्र मीडिया, भ्रष्टाचार रोधी कार्यों और अन्य बहुत कुछ का समर्थन करते हैं।
बृहस्पतिवार की वीडियो कॉन्फ्रेंस की अमेरिका के मुख्य विरोधियों और अन्य देशों ने आलोचना की जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। अमेरिका में चीन और रूस के राजदूतों ने एक संयुक्त लेख लिखा जिसमें बाइडन प्रशासन को “शीत-युद्ध की मानसिकता” का प्रदर्शन करने वाला बताया गया, जो “वैचारिक टकराव को हवा देगा और दुनिया में दरार पैदा करेगा।”
प्रशासन को इस बात को लेकर भी आलोचना का सामना करना पड़ा कि उसने किस आधार पर देशों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया। चीन और रूस उनमें से थे जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया।