कोलंबो। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्स्टेक) के सदस्य देशों को आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला सामूहिक रूप से करना चाहिए। जयशंकर ने विशेष रूप से संपर्क, ऊर्जा और समुद्री क्षेत्र में सहयोग को तेज करने एवं इसे विस्तार देने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
कोलंबो में 18वीं बिम्स्टेक मंत्रिस्तरीय बैठक में जयशंकर ने यह भी कहा कि बंदरगाह केंद्रों, नौका सेवाओं, तटीय जहाजरानी, ग्रिड कनेक्टिविटी और मोटर वाहनों की आवाजाही पर सहयोग महत्वपूर्ण है।
बिम्सटेक बैठक के दौरान नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का से मुलाकात करके अच्छा लगा।
कनेक्टिविटी, ऊर्जा, उर्वरक, स्वास्थ्य और बिजली में आपसी सहयोग पर चर्चा की।
रामायण सर्किट की प्रगति पर ध्यान देने पर सहमति बनी। https://t.co/wKPHZVZ3G1
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 29, 2022
आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ, अंतरराष्ट्रीय अपराध, साइबर हमले तथा मादक द्रव्यों की तस्करी का मिलकर मुकाबला करना होगा।
कल शिखर सम्मेलन में चार्टर और मास्टर प्लान पारित किए जाने की आशा है।
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इस दिशा में सक्रिय व्यापार गठबंधन और साझा परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
बन्दरगाह सुविधाएं, नौका सेवाएं और तटीय नौवहन, ग्रिड कनेक्टिविटी तथा मोटर वाहन परिवहन प्रमुख हैं।
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 29, 2022
जयशंकर ने कहा कि उन्हें बुधवार को शिखर सम्मेलन में ‘चार्टर और मास्टर प्लान’ को अपनाए जाने की उम्मीद है। भारत और श्रीलंका के अलावा बिम्स्टेक के बांग्लादेश, म्यांमा, थाईलैंड, नेपाल और भूटान सदस्य हैं।
बिम्स्टेक समूह के अध्यक्ष के रूप में श्रीलंका शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को बिम्स्टेक समूह के डिजिटल शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें सदस्य देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है।
जयशंकर सोमवार को कोलंबो पहुंचे और उन्होंने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। श्रीलंका को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत द्वारा आर्थिक राहत पैकेज देने के बाद से यह श्रीलंका की उनकी यह पहली यात्रा है।