बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया का ढाका में निधन

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बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया का ढाका में निधन हो गया है। वह 80 साल की थीं। बीएनपी ने अपने वेरिफाइड फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखा, “खालिदा जिया का निधन सुबह करीब 6:00 बजे फज्र की नमाज़ के ठीक बाद हुआ।” बीएनपी के सेक्रेटरी जनरल मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर और BNP चेयरपर्सन के प्रेस विंग के एक अधिकारी शमसुद्दीन दीदार ने भी उनके निधन की पुष्टि की।

बांग्लादेश इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। भारत के इस पड़ोसी मुल्क में कट्टरवाद और हिंसा चरम पर है। रोजाना हिंदुओं को निशाना बनाने की खबरें आ रही हैं। फरवरी में वहां आम चुनाव होने हैं। BNP नेता तारिक रहमान बांग्लादेश में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं।

1947 के बंटवारे के बाद बेगम खालिदा का परिवार दिनाजपुर शहर चला गया। उनका मूल नाम खालिदा खानम पुतुल था। खालिदा जिया ने दिनाजपुर मिशनरी स्कूल और दिनाजपुर गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की। उनकी शादी पाकिस्तानी सेना के कैप्टन जियाउर रहमान से हुई। 1965 में शादी के बाद जिया पति के साथ पाकिस्तान चली गईं। तब उन्होंने अपना नाम बदलकर खालिदा जिया रख लिया।

खालिदा 3 बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। पहली बार 1991 में, जब वो बांग्लादेश की पहली महिला पीएम बनीं। दूसरी बार फरवरी 1996 में प्रधानमंत्री बनीं और उनका तीसरा कार्यकाल 2001 से 2006 तक रहा। पाकिस्तानी पृष्ठभूमि के कारण खालिदा जिया का हमेशा भारत के साथ टकराव रहा। उनकी राजनीति का आधार ही भारत-विरोधी राष्ट्रवाद रहा।

इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मार्च 2013 में जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ढाका दौरे पर थे तो इस दौरान खालिदा ने उनसे मिलने से साफ इनकार कर दिया था। जब खालिदा ने ऐसा किया था तो उस वक्त दिल्ली में यूपीए की सरकार थी। खालिदा ने तब कहा था कि कांग्रेस नीत दिल्ली की सरकार बांग्लादेश की हसीना सरकार को ज्यादा तवज्जो दे रही है।

खालिदा जिया ने अपने कार्यकाल में भारत के बजाय पाकिस्तान और चीन के साथ रिश्तों को प्राथमिकता दी। इतना ही नहीं उन्होंने 1972 की भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि को गुलामी की संधि करार दिया। इसके अलावा 1996 की गंगा जल साझा संधि को ‘गुलामी का सौदा’ कहा और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स शांति समझौते का भी विरोध किया।

खालिदा के कार्यकाल में भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा मिला। ISI ने ढाका में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाई। इसके अलावा भारत के पूर्वोत्तर उग्रवादी समूहों (जैसे यूएलएफए, एनएससीएन) को भी बांग्लादेश में आश्रय दिया गया।

साल 2006 में जिया ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। उनकी सबसे चर्चित भारत यात्रा अक्टूबर 2012 में हुई, जब वे विपक्ष की नेता थीं।



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