अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त टैरिफ नीति ने सोमवार (7 अप्रैल) को एक बार फिर दुनिया भर के शेयर मार्केट को हिला दिया। ट्रंप ने कहा कि विदेशी सरकारों को ये टैक्स हटवाने के लिए बहुत ज्यादा पैसा देना पड़ेगा। हालांकि शुरुआत में ऐसा संकेत मिला कि टैरिफ कुछ समय के लिए रोके जा सकते हैं, जिससे अमेरिकी शेयर मार्केट को थोड़ी राहत मिली, लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने इसको लेकर भी बयान जारी कर दिया।
एशिया और यूरोप के शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट आई और तेल की कीमतें भी नीचे चली गईं। निवेशकों को डर है कि ट्रंप जिस टैक्स को ‘दवा’ बता रहे हैं, वह असल में चीजों को महंगा कर सकता है, मांग को घटा सकता है और शायद पूरी दुनिया को आर्थिक मंदी की ओर ले जा सकता है। इसके अलावा पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर भी शुरू हो सकती है।
अमेरिकी शेयर मार्केट की शुरुआत में गिरावट देखने को मिली, लेकिन व्हाइट हाउस के सलाहकार केविन हैसेट के एक बयान के बाद थोड़ा सुधार हुआ। उन्होंने CNBC को बताया कि ट्रंप सभी देशों (चीन को छोड़कर) के लिए 90 दिनों तक टैरिफ रोकने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने इस बयान को ‘फेक न्यूज़’ कह दिया, जिससे शेयर मार्केट फिर से गिरने लगे।
यूरोपीय संघ (EU) अभी इस बात पर एकमत नहीं है कि अमेरिका के खिलाफ कितनी सख्ती दिखानी चाहिए। लेकिन उसने कहा है कि वह बातचीत के लिए तैयार है और जरूरत पड़ी तो जवाब भी देगा। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बताया कि EU ने अमेरिका को एक प्रस्ताव दिया है, जिसमें औद्योगिक सामानों पर दोनों तरफ से जीरो टैक्स (जीरो-फॉर-जीरो) लगाने की बात कही गई है।
गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि अगले 12 महीनों में अमेरिका में मंदी आने की संभावना अब 45% तक बढ़ गई है। जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन टैरिफ (टैक्स) की वजह से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 0।3% की गिरावट हो सकती है, जबकि पहले उन्होंने 1।3% की बढ़त का अंदाजा लगाया था।
कनेक्टिकट की डकोटा वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी के सीनियर पोर्टफोलियो मैनेजर रॉबर्ट पाव्लिक ने कहा, “लोगों को डर लग रहा है कि अभी सबसे बुरा समय आना बाकी है। वे बाजार में और गिरावट को लेकर चिंतित हैं।”