यरुशलम। इसराइली मीडिया के अनुसार इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने रविवार को सऊदी अरब जाकर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से ख़ुफ़िया मुलाक़ात की है।
हिब्रू भाषा में छपने वाले एक अखबार ने हवाई जहाज़ की उड़ानों को ट्रैक करने वाले डेटा के आधार पर दावा किया है कि नेतन्याहू के इस्तेमाल किए जाने वाला एक बिज़नेस विमान सऊदी अरब के शहर नियोम गया था जहां क्राउन प्रिंस और पॉम्पियो पहले से मौजूद थे। इन नेतन्याहू के दौरे के दौरान उनके साथ दुनिया में कुख्यात रही इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख योसी कोहेन भी मौजूद थे।
हालांकि इस दावे को लेकर ना ही इजराइल और ना ही सऊदी अरब की सरकार ने कुछ कहा है, लेकिन लंदन से छपने वाले अंग्रेजी अखबार गॉर्डियन के अनुसार इन दावों के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सोशल मीडिया सहयोगी टोपाज लुक के ट्वीट से यह इशारा मिलता है कि अखबार का दावा सही है।
गॉर्डियन के अनुसार टोपाज लुक ने अपने ट्वीट में कहा है, ” बेंजामिन शांति बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं, जबकि उनके पूर्व घरेलू प्रतिद्वंद्वी, बेनी गैंट्ज़, राजनीति कर रहे थे”। इस ट्वीट से जाहिर होता है कि सऊदी अरब के प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान और इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बीच मुलाकात हुई है।
अगर इसराइली मीडिया का यह दावा सही है तो यह सऊदी अरब और इसराइल के नेताओं के बीच इजराइल के स्थापना के बाद यह पहली मुलाकात है।
बता दें कि अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि सभी अरब देशों के रिस्ते इसराइल के साथ सामान्य हो जाएं। संबंधों को सुधारने के लिए ट्रम्प ने हाल ही में इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और सूडान के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई हैं। ट्रम्प के इस पहल के बाद कई अरब देशों ने इजराइल के साथ रिस्तों को सामान्य करने के लिए कई कदम उठाये हैं।
ट्रम्प की इस पहल को सऊदी अरब ने भी अंजाम तक पहुंचाने में मदद की थी, लेकिन इस मुद्दे पर सऊदी अरब बहुत खुलकर सामने नहीं आ रहा है और फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
उल्लेखनीय हैं कि इजराइल को फिलिस्तिनियों की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर यहूदी देश बनाने, साथ ही फिलिस्तिनियों को उनके ही जमीन से बेदखल करने के कारण अरब देशों और इजराइल के बीच रिस्ते सामान्य नहीं हुए हैं। कई अरब देशों ने अभी तक इजराइल को एक देश के रूप में मान्यता भी नहीं दी है।