पाकिस्‍तान में सैन्‍य अभ्‍यास पर रोक लगा दी, क्‍योंकि फौज के पास फ्यूल की कमी


नए निर्देशों के मुताबिक इस साल दिसंबर तक हर तरह की सैन्य ट्रेनिंग पर पाबंदी रहेगी। इसके पीछे वजह बताई गई है कि फौज के पास फ्यूल, ल्यूब्रिकेंट की कमी है।


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विदेश Updated On :

नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान में कंगाली के कारण जनता तो खामियाजा भुगत रही है, साथ फौज की हालत भी पस्त हो गई है। हालात ये हो गए कि पाकिस्तान के हर साल होने वाले सैन्य ट्रेनिंग पर भी रोक लगा दी गई है। FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद IMF से मिल रही कर्ज की किश्तों के बाद भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तान के डीजी मिलेट्री ट्रेनिंग ने निर्देश जारी किए हैं कि ईंधन की कमी के चलते इस साल की मिलिट्री ट्रेनिंग संभव नहीं है।

नए निर्देशों के मुताबिक इस साल दिसंबर तक हर तरह की सैन्य ट्रेनिंग पर पाबंदी रहेगी। इसके पीछे वजह बताई गई है कि फौज के पास फ्यूल, ल्यूब्रिकेंट की कमी है। पाकिस्‍तान में जनता तो ईंधन की कमी के चलते महँगा तेल ख़रीदने को मजबूर है तो पाकिस्तान सेना के पास तो तेल रिज़र्व कर के रखने के लिए पैसा ही नहीं है।

रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो हर देश की सेना को अपने ज़रूरत के हिसाब से गोला बारूद और ईंधन का रिज़र्व रखना होता है। मसलन, वॉर रिज़र्व फ़्यूल यानी जंग लड़ने के लिए पर्याप्त ईंधन के स्तर को बनाए रखना और सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए साल भर में जितनी फ़्यूल इक्ट्ठा रखना ट्रेनिंग रिज़र्व फ़्यूल कहलाता है। वॉर रिज़र्व से तो छेड़छाड़ पाकिस्तान करना नहीं चाहता लेकिन ट्रेनिंग रिज़र्व के लिए रखा गया ईंधन को भी ज़ाया नहीं करना चाहता। इस कारण दिसंबर तक सभी सैन्य अभ्यास पर रोक लगाने का फ़रमान जारी किया गया है।

पाकिस्तान फ़ौज इस साल का ट्रेनिंग के सीजन में कोई ट्रेनिंग नहीं करेगी। किसी भी सैन्य ट्रेनिंग में सैनिकों और पूरे लॉजेस्टक को ट्रेनिंग एरिया तक पहुँचाना और ट्रेनिंग के दौरान बड़ी मात्रा में ईंधन खर्च होता है। अब उस खर्च को बचाना चाहता है क्योंकि पाकिस्तान के पास इतना विदेशी मुद्रा भंडार ही नहीं बचा है कि विदेशों से कच्चा तेल लाकर उन ज़रूरत को पूरा कर सके। चूँकि पाकिस्तान इस वक्त टीटीपी के साथ पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर भी एक अघोषित जंग लड़ रहा है। ऐसे में पाकिस्तान की फौज की हालत बेहद ख़राब हो चुके हैं।

तमाम राजनैतिक संकट के बावजूद पाकिस्तान आम चुनाव की तरफ़ धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि अक्टूबर में पाकिस्तान में चुनाव कराए जा सकते है, लेकिन पाकिस्तान में जो इमरान बनाम बाकी सत्ताधारी दल , सेना और ISI के बीच जारी टकराव इस तरफ़ इशारा कर रहा है कि क्या वाक़ई पाकिस्तान में चुनाव बिना किसी गड़बड़ी के साफ़ सुथरे तरीक़े से हो पाएंगे।

इमरान और पाक सेना के बीच खींचतान चरम पर है। लाख कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान में इमरान खान की लोकप्रियता कम होने के बजाए बढ़ी है और फौज के लिए यह सबसे चुनौती होगी। 2018 के चुनाव में इमरान खान फौज की मेहरबानियों के चलते पाकिस्तान की सत्ता पर क़ाबिज़ हुए थे।

उस वक्त प्रमुख विपक्षी दल पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज़ ) ने पाकिस्तानी सेना पर चुनावों में धांधली का आरोप लगाया था। हालाँकि पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया था। दुनिया इस बात से पहले से ही वाक़िफ़ है कि पाकिस्तान में फ़ौज की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता तक नहीं हिल सकता है।