
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘गाजा पीस प्लान’ पर पाकिस्तान कंफ्यूज है। पाकिस्तान की लीडरशिप को समझ ही नहीं आ रहा है कि वो इस प्लान का समर्थन करे या फिर विरोध, अगर ऐसा न होता तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इशाक डार के बयान अलग-अलग न होते। इशाक डार ने संसद में गाजा प्लान पर कहा था कि ये वो नहीं है, जिस पर 8 मुस्लिम देशों ने मिलकर मुहर लगाई थी, इसमें बदलाव किए गए हैं। डार के बयान के महज 24 घंटे बाद ही शहबाज शरीफ का बयान सामने आया, जिसमें वह इस प्लान की तारीफ करते हुए नजर आए।
विदेश मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार (3 अक्टूबर, 2025) को इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह आठ मुस्लिम बहुल देशों द्वारा मूल रूप से प्रस्तुत किए गए खाके से अलग है, लेकिन एक दिन बाद यानी 4 अक्टूबर, 2025 को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस योजना की तारीफ करते हुए इसे गाजा में शांति की दिशा में एक सराहनीय कदम बताया।
शहबाज शरीफ ने X पर पोस्ट कर कहा, ‘अल्हम्दोलिल्लाह, हम सीजफायर के इतने करीब हैं, जितना कि फिलिस्तीनी लोगों पर इस नरसंहार के शुरू होने के बाद से हम कभी नहीं थे।’ उन्होंने शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए ट्रंप और कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, जॉर्डन, मिस्र और इंडोनेशिया के नेताओं को धन्यवाद दिया।
पाक पीएम ने कहा, ‘हमास द्वारा जारी बयान युद्धविराम और शांति सुनिश्चित करने का एक रास्ता खोलता है, जिसे हमें फिर से बंद नहीं होने देना चाहिए। इंशाअल्लाह, पाकिस्तान फ़िलिस्तीन में स्थायी शांति के लिए अपने सभी सहयोगियों और भाईचारे वाले देशों के साथ मिलकर काम करता रहेगा।’
शहबाज शरीफ का यह बयान हमास द्वारा ट्रंप की 20-सूत्रीय शांति योजना के कुछ हिस्सों को सशर्त स्वीकार करने के बाद आई है, जिसका उद्देश्य लगभग दो साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करना है। हमास ने कहा कि वह 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के दौरान बंधक बनाए गए लोगों को रिहा करने और अन्य फ़िलिस्तीनी समूहों को सत्ता सौंपने को तैयार है, हालांकि कुछ प्रमुख मतभेद अभी भी बने हुए हैं।
ट्रंप की गाजा प्लान में सीजफायर और 72 घंटों के भीतर बंधकों की वापसी, एक फिलिस्तीनी प्रशासन का गठन, अंतरराष्ट्रीय और अरब शांति सेना की निगरानी, बंधकों की रिहाई से जुड़ी इजरायल की चरणबद्ध वापसी और एक ‘नए गाजा’ के पुनर्विकास की रूपरेखा शामिल है। इस योजना में एक ‘शांति बोर्ड’ का भी प्रस्ताव है, जिसकी अध्यक्षता ट्रंप करेंगे और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर सलाहकार की भूमिका में होंगे।
इशाक डार ने संसद को बताया कि ट्रंप का गाजा प्लान वह नहीं है, जिस पर मुस्लिम नेताओं ने 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में हुई बैठक में सहमति व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, ‘ये 20 बिंदु हमारे जैसे नहीं हैं। इनमें बदलाव किए गए हैं।’
डार के अनुसार, मूल मुस्लिम प्रस्ताव में गाजा से इजरायल की पूर्ण वापसी और ‘दो-राज्य समाधान पर आधारित न्यायोचित शांति’ की मांग की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप ने व्यक्तिगत रूप से मुस्लिम नेताओं को आश्वासन दिया था कि वे पश्चिमी तट पर इजरायल के किसी भी कब्जे को रोकेंगे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान का मूल रुख अभी भी बदला नहीं है। वह इजरायल को कभी मान्यता नहीं देगा और 1967 से पहले की सीमाओं पर स्थित एक फिलिस्तीनी राज्य का समर्थन करता रहेगा, जिसकी राजधानी यरुशलम (अल-कुद्स अल शरीफ़) होगी। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि इस योजना में अंतरराष्ट्रीय शांति सैनिकों की तैनाती की बात कही गई है और पाकिस्तान इस बात पर विचार कर रहा है कि सैनिक भेजे जाएं या नहीं।