नई दिल्ली। सरकार विरोधी आंदोलनों के बीच शेख हसीना पिछले साल पांच अगस्त को बांग्लादेश से भागकर वापस आई तो ऐसा लगा कि उनके राजनीतिक करियर का अंत हो गया। देश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार आई। फिर एक-एक कर हसीना पर 100 से ज्यादा मुकदमे ठोक दिए गए। हद तो तब हो गई जब मोहम्मद यूनुस के एक सलाहाकार ने यह कह दिया कि वो हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने की तैयारी कर रहे हैं। एक के बाद एक याचिकाएं भी बांग्लादेश की कोर्ट में लगा दी गई ताकि कानूनी रूप से अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोका जा सके। अब शेख हसीना को बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने बड़ी राहत दी है। चुनाव आयोग का कहना है कि आवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है।
इससे पहले खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की तरफ से भी कहा गया था कि वो चाहते हैं कि अवामी लीग पर चुनाव लड़ने से रोक नहीं लगाई जाए। हालांकि वो शेख हसीना और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं पर एक्शन में पक्ष में जरूर हैं। बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन ने आवामी लीग की भागीदारी के बारे में चिंताओं पर बात करते हुए चटगांव में कहा, “यह मुख्य रूप से एक राजनीतिक मामला है। कुछ व्यक्तियों ने आवामी लीग को भाग लेने से रोकने के लिए अदालती आदेश की मांग करते हुए मुकदमे दायर किए हैं। अगर अदालत ऐसा कोई फैसला सुनाती है, तो हम उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे। अन्यथा, यह एक राजनीतिक निर्णय है।’
शेख हसीना को लेकर इस वक्त बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के खिलाफ भी मोर्चा खोले बैठी है। वो भारत सरकार से मांग कर रही है कि शेख हसीना को वापस उनके देश भेजा जाए ताकि हजारों हत्या के मामले में उनपर मुकदमा चलाया जा सके। उधर, हिन्दुओं पर बांग्लादेश में हो रहे हमले का मुद्दा भी दोनों देशों के बीच गरमाया हुआ है। बांग्लादेश की सरकार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने में फैल साबित हुई है। मोहम्मद यूनुस के राज में बांग्लादेश में कट्टरपंथी हावी हो गए हैं।