यूएई फतवा काउंसिल ने ‘सूअर’ के इस्तेमाल पर भी कोविड टीकों को जायज करार दिया

काउंसिल के अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला बिन बय्या ने कहा कि अगर कोई और विकल्प नहीं है तो कोरोना वायरस टीकों को इस्लामी पाबंदियों से अलग रखा जा सकता है क्योंकि पहली प्राथमिकता 'मनुष्य का जीवन बचाना है।'

यूएई फतवा काउंसिल के अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला बिन बय्याह

दुबई। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शीर्ष इस्लामी निकाय ‘यूएई फतवा काउंसिल’ ने कोरोना वायरस टीकों में पोर्क (सूअर के मांस) के जिलेटिन का इस्तेमाल होने पर भी इसे मुसलमानों के लिये जायज करार दिया है।

टीकों में सामान्य तौर पर पोर्क जिलेटिन का इस्तेमाल होता है और इसी वजह से टीकाकरण को लेकर उन मुस्लिमों की चिंता बढ़ गई है जो इस्लामी कानून के तहत सूअर से बने उत्पादों के प्रयोग को ‘हराम’ मानते हैं।

काउंसिल के अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला बिन बय्या ने कहा कि अगर कोई और विकल्प नहीं है तो कोरोना वायरस टीकों को इस्लामी पाबंदियों से अलग रखा जा सकता है क्योंकि पहली प्राथमिकता ‘मनुष्य का जीवन बचाना है।’

काउंसिल ने कहा कि इस मामले सूअर-जिलेटिन को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाना है न कि भोजन के तौर पर।

First Published on: December 23, 2020 6:38 PM
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