
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विधिक सहायता प्राधिकार को कहा है कि वह रेकी करके पता करे कि क्या भूखे लोगों के लिये चलाए जा रहे राहत शिविरों को जारी रखने, गैर-राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न प्रदान करने और रैन बसेरों में रहने वालों को पके हुए भोजन दिये जाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) को कहा कि वह एक एनजीओ द्वारा दायर आवेदन और दिल्ली सरकार के जवाब का परीक्षण करने तथा मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र रूप से रेकी करने के बाद स्थिति रिपोर्ट अदालत को सौंपे।
अदालत ने एनजीओ रोजी रोटी अधिकार अभियान की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं। एनजीओ ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह दिल्ली सरकार को मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना या किसी अन्य योजना के तहत खाद्यान्न देने की अपनी योजना फिर से शुरू करने का निर्देश दे।