मुंबईः अब ईको फ्रेंडली शवदाह गृहों में होगा अंतिम संस्कार


बीएमसी ने बताया कि अंतिम संस्कार के दौरान दौरान भट्ठी से उत्पन्न धुआं 90 से 100 फुट ऊंची चिमनी से बाहर निकलेगा। धुयें में मौजूद कणों और कार्बनडाईऑक्साइड को नियंत्रित करने के लिए इसको पहले जल ब्रश से गुजरना पड़ेगा।


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मुंबई। बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने शहर के सायन क्षेत्र के शवदाहगृह में पर्यावरण अनुकूल दो भट्ठियां लगायी है। इससे शवों के अंतिम संस्कार में न केवल ईंधन और समय की बचत होगी बल्कि पारंपरिक चिताओं की अपेक्षा कम धुआं निकलेगा। इस परियोजना पर कुल 98.88 लाख रुपये का खर्च आया है।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने एक बयान जारी कर बताया कि यह पर्यावरण अनुकूल भट्ठियां 100 से 125 किलोग्राम लकड़ी में शवदाह कार्य संपन्न कर सकती है जबकि पारंपरिक तौर पर 350 से 400 किलोग्राम लकड़ी की खपत होती है। इसमें समय भी चार घंटे की बजाये दो घंटा लगेगा ।

बीएमसी ने बताया कि अंतिम संस्कार के दौरान दौरान भट्ठी से उत्पन्न धुआं 90 से 100 फुट ऊंची चिमनी से बाहर निकलेगा। धुयें में मौजूद कणों और कार्बनडाईऑक्साइड को नियंत्रित करने के लिए इसको पहले जल ब्रश से गुजरना पड़ेगा।

बीएमसी के अनुसार इस प्रणाली में शव को एक विशेष ट्रॉली में रखा जाता है और उसके ऊपर तथा नीचे लकड़ी रखी जाती हैं। ट्रॉली को भट्ठी में डालने के बाद इसका दरवाजा बंद होता है। भट्टठी का तापमान 850 से 950 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। तापमान अधिक होने से यह कार्य अपेक्षाकृत कम समय में और कम लकड़ियों में संपन्न हो जाता है।