कोरोना संकट खत्म होने के बाद भी डिजिटल अदालतें जारी रहनी चाहिए: संसदीय समिति


कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्‍याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अदालत एक स्थान नहीं, बल्कि एक सेवा है। उसने कहा कि अब समय आ गया है कि ‘‘पुरानी पड़ चुकीं कार्य पद्धतियों का अंतिम गढ़’’ कहे जाने वाले अदालत के कक्ष नई तकनीक के लिए अपने दरवाजे खोल दें।


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नई दिल्ली। कानून और न्याय संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने शुक्रवार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी समाप्त होने के बाद भी चिह्नित श्रेणियों के लिए डिजिटल माध्यम से मामलों की सुनवाई जारी रहनी चाहिए।

भाजपा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को रिपोर्ट सौंपी।

कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्‍याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अदालत एक स्थान नहीं, बल्कि एक सेवा है।

उसने कहा कि अब समय आ गया है कि ‘‘पुरानी पड़ चुकीं कार्य पद्धतियों का अंतिम गढ़’’ कहे जाने वाले अदालत के कक्ष नई तकनीक के लिए अपने दरवाजे खोल दें।

समिति ने इस बात को रेखांकित किया कि ‘‘डिजिटल न्याय’’ अपेक्षाकृत सस्ता एवं तेज होता है। इसके अलावा यह स्थान संबंधी एवं आर्थिक बाधाओं को भी दूर करता है।

समिति ने ‘‘कोविड-19 वैश्विक महामारी समाप्त होने के बाद भी डिजिटल अदालतें जारी रखने की’’ मजबूती से वकालत की।

उसने कहा, ‘‘महामारी समाप्त होने के बाद भी सभी पक्षों की सहमति के बाद मामलों की चिह्नित श्रेणियों के लिए डिजिटल अदालत की कार्यवाही जारी रखी जाएं।’’

समिति ने अपनी रिपोर्ट में सलाह दी कि देश भर में स्थित उन अपीली अदालतों के लिए डिजिटल सुनवाई को स्थायी बनाया जा सकता है, जिनके लिए पक्षों या वकीलों को निजी रूप से पेश होने की आवश्यकता नहीं है।

उसने कहा कि डिजिटल सुनवाई से प्रक्रिया में तेजी आती है, वे अधिक किफायती एवं नागरिकों के अनुकूल होती हैं तथा इनसे न्याय तक पहुंच बढ़ती है।

कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रभाव पर किसी भी संसदीय समिति की यह पहली रिपोर्ट है।



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