वाराणसी से बलिया तक गंगा में दिख रहा है परिवर्तन


गंगा के साफ होने से वाराणसी से बलिया तक के स्थानीय लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं। पहले और अब के गंगाजल में काफी अंतर है। आज पानी साफ दिख रहा है। इसकी बड़ी वजह है फैक्ट्रियों का बंद होना। लोग घाटों पर नहीं नहा रहे हैं। अगर महीना दिन में स्थिति में इतना सुधार है तो मुझे लगता है कि गंगा पहले के जैसी हो सकती हैं। गंगा नदी का पानी लॉकडाउन में साफ हो गया है। किसी ने ऐसा सोचा नहीं होगा कि लॉकडाउन का मौसम पर ऐसा असर होगा। हमें गंगा में साफ पानी देखकर खुशी होती है।



विवेक तिवारी 

बलिया। पृथ्वी दिवस के अवसर पर गंगा नदी में व्याप्त प्रदूषण पर समाज के कुछ जागरुक लोगों ने मिल-बैठकर चर्चा की। चर्चा का विषय कोरोना वायरस से देश-दुनिया में मानव गतिविधियों के ठप पड़ने से नदी,वायुमंडल और प्रकृति पर पड़ने वाला प्रभाव रहा है। “मां गंगा पर आये कुछ चर्चा करें” विषय पर बातचीत के क्रम में लोगों ने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे की वजह से पूरे देश में  हुए लॉकडाउन के दौरान देश में प्रदूषण में लगातार कमी आ रही है। हवा तो साफ हो ही रही है, अगर 24 मार्च से पहले से अब के हालात की तुलना की जाए तो एक अच्छा सुधार दिख रहा है। 

जिला संयोजक नमामि गंगे गंगा विचार मंच,बलिया के जिला संयोजक जितेंद्र चतुर्वेदी कहते हैं कि, “गंगा के साफ होने से वाराणसी से बलिया तक के स्थानीय लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं। पहले और अब के गंगाजल में काफी अंतर है। आज पानी साफ दिख रहा है। इसकी बड़ी वजह है फैक्ट्रियों का बंद होना। लोग घाटों पर नहीं नहा रहे हैं। अगर महीना दिन में स्थिति में इतना सुधार है तो मुझे लगता है कि गंगा पहले के जैसी हो सकती हैं। गंगा नदी का पानी लॉकडाउन में साफ हो गया है। किसी ने ऐसा सोचा नहीं होगा कि लॉकडाउन का मौसम पर ऐसा असर होगा। हमें गंगा में साफ पानी देखकर खुशी होती है।“

गंगा घाटों के किनारे होने वाली गतिविधियां बंद हैं। वहीं,सरकार सीवरेज पर अभी भी लगाम नहीं लगा पाई है। इस दौरान भी गंगा के काफी साफ होने के संकेत मिल रहे हैं। इसमें घुलित ऑक्सीजन 6 से 7 प्रति लीटर मिलीग्राम से बढ़कर 9-10 तक पहुंच गया है। लॉकडाउन के दौरान हर पैरामीटर में 40 से 50 फीसद असर हुआ है। इस कारण गंगा निर्मल दिख रही है 

हर घाटों पर शव के जलने की  संख्या 10 से 20 हो गई है। राख कम प्रवाहित हो रही है। भारी संख्या में लोग गंगा स्नान करते थे और पुष्प आदि बहाते थे। अभी यह सब बंद है। प्रदूषण में उद्योगों की हिस्सेदारी पांच से 10 फीसद होती है। लॉकडाउन की वजह से उद्योग-धंधे बंद हैं,अभी सीवेज बंद नहीं हुए है। इसमें करीब 43 नालों से नगर निगम के 25 और आम जनता का 45 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) पानी गंगा में जा रहा है। इससे कुछ अंश साफ देखने को मिला है। गंगा अनवरत बहाव से अपने आप साफ हो जाती है। सीवर के पानी पर रोक होता, तो गंगाजल पूरी तरह निर्मल होती।



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