
नई दिल्ली। आर्य प्रतिनिधि सभा एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 21 सितंबर 2020 को गुरुकुल गौतम नगर के सभा कक्ष में स्वामी अग्निवेश जी के जन्म दिवस एवं विश्व शांति दिवस के अवसर पर स्वामी अग्निवेश को श्रद्धांजलि अर्पित करके उन्हें याद किया गया एवम् समाज कार्य की दिशा में भविष्य की कार्य योजना के संबंध में संकल्प लिया भी लिया।
स्वामी अग्निवेश अंतर्राष्ट्रीय आर्य सन्यासी के रूप में विख्यात थे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक एक सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में समाज के अंतिम व्यक्ति के सर्वांगीण विकास, उसके मौलिक अधिकारों तथा समाज में सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष करते रहे। प्रेरणा सभा में जो लोग दिल्ली नहीं पहुंच पाए उन्होंने अपने विचार विडियो के माध्यम से भेजे जिसे कार्यक्रम में प्रसारित किया गया।
अपने संदेश में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि “स्वामी अग्निवेश सर्वधर्म समभाव के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। वह सिर्फ बंधुआ एवं बाल मजदूरी के मुद्दे तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने समाज में नर-नारी विषमता को हटाने के लिए और समाज में जितनी बुराइयां है उन सब के खिलाफ अपने कार्यों द्वारा एक क्रांतिकारी अलख जगाई।”
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी स्वामी जी के द्वारा किए गए अनेक सामाजिक उत्थान के कार्यों को जिसमें जिसमें बंधुआ मजदूरी उन्मूलन एवं नर नारी समानता पर किए गए कार्यों की विशेष चर्चा की।
स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि “स्वामी जी पूरे जीवन अत्यंत निर्भीकता के साथ एवं क्रांतिकारी तरीके से जिस प्रकार गरीब से गरीब लोगों के लिए लड़े हैं जिस प्रकार उन्होंने सामाजिक उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई है वह अद्वितीय है। स्वामी जी हमेशा सबसे गरीब और शोषित व्यक्ति की एक आवाज और उनके लिए एक मसीहा की तरह काम करते रहे।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि “स्वामी अग्निवेश आर्य समाज के एक क्रांतिकारी सन्यासी एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में शोषण और अन्याय के खिलाफ हमेशा लड़ते रहे और उनका इस प्रकार दुनिया से जाना देशभर के लिए खेद की बात है।”
कई मुख्यमंत्रियों ने अपना खेद एवं श्रद्धांजलि व्यक्त की उनके नाम इस प्रकार है अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री राजस्थान, पीनारायी विजयन, मुख्यमंत्री केरल, अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री पंजाब, चंद्रशेखर राव, मुख्यमंत्री तेलंगाना एवं नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार। लिखित विचार प्रस्तुत करने वाले अनेक गणमान्य व्यक्तियों की सूची में बंडारू दत्तात्रेय, राज्यपाल हिमाचल प्रदेश, डॉ. बाबूराम भट्टराई, पूर्व प्रधानमंत्री नेपाल, निष्कासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री, ग्लैन टी मार्टिन, प्रधान वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन एंड पार्लिमेंट एसोसिएशन, ओलिवर मेंडल्सन ला ट्रॉब यूनिवर्सिटी मेलबॉर्न, मौलाना एआर शाहीन कासमी जनरल सेक्रेटरी ऑफ वर्ल्ड पीस ऑर्गेनाइजेशन, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर , अनिल कोतो आर्चबिशप, जमीयत ए इस्लामी हिंद के उप प्रधान एवं सेक्रेटरी जनरल तेजल बिन बुआ मार आदि शामिल हैं।
विभिन्न समाजसेवियों ने भी अपनी श्रद्धांजलि इस अवसर पर लिखित रूप एवं वीडियो के द्वारा प्रस्तुत की जिनमें जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा, तोताराम भील प्रधान आदिवासी विकास परिषद, योगेंद्र यादव, हर्ष मंदिर आदि रहे। सभी ने अपने-अपने शब्दों में और अपने-अपने तरीकों से स्वामी जी के कार्यों कि प्रशंसा की एवं उनके दुनिया से जाने से जो रिक्त स्थान बना है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता। कई वक्ताओं ने कहा कि स्वामी जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम सब लोग मिलकर समाज में व्याप्त अन्याय शोषण एवं कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज मिलकर बुलंद करेंगे।
श्रद्धांजलि सभा में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने कहा कि “स्वामी अग्निवेश साहसी, मेधावी आर्य सन्यासी के साथ मानवाधिकार के पुरोधा थे। स्वामी जी ने ऋषि दयानंद के विचारों को देश-विदेश में पहुंचाया।”
कार्यक्रम का संचालन बंधुआ मुक्ति मोर्चा के क्रांतिकारी नेता प्रोफेसर विट्ठल राव जी ने किया। इस अवसर पर माया प्रकाश त्यागी, स्वामी प्रणवानंद, वेद प्रकाश श्रोत्रिय, योगानंद शास्त्री, प्रेमपाल शास्त्री, गौतम कुमार, मनु सिंह, हवा सिंह, स्वामी विजयवेश, स्वामी संपूर्णानंद, ब्रह्मचारी दिक्षेंद्र आर्य, प्रवेश आर्या, पूनम आर्या, बिष्णु पॉल, जियाउद्दीन जावेद, स्वामी वेदात्मवेश, विनय आर्य, धर्मेन्द्र आर्य सहित कई साथियों ने अपने विचार व्यक्त किए तथा इस अवसर पर कई संन्यासीगण, सामाजिक कार्यकर्ता, धर्म गुरुओं की उपस्थिति रही।