
नोएडा के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने सभी मकान-मालिकों को निर्देश दिया है कि वो अपने यहां रहने वाले किसी भी कामगार मजदूरों से किराया नहीं वसूलें। अगर किसी भी मकान-मालिक के खिलाफ किराया मांगने या किसी अन्य तरह के दबाव बनाने की शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।एक ओर गरीब मजदूरों के लिए कोरोना संकट के बीच कई मुसीबतें खड़ी हुई हैं वहीं आज नोएडा में किराए के घरों में रह रहे मजदूरों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए राहत ही खबर है। लॉकडाउन में उनके पास मकान-मालिकों को देने के लिए पैसे नहीं है, ऐसे में प्रशासन की ओर से उन्हें बड़ी राहत मिली है। नोएडा के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने सभी मकान-मालिकों को निर्देश दिया है कि वो अपने यहां रहने वाले किसी भी कामगार मजदूरों से किराया नहीं वसूलें. अगर किसी भी मकान-मालिक के खिलाफ किराया मांगने या किसी अन्य तरह के दबाव बनाने की शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
निर्देश का पालन न करने वालों पर होगी कार्रवाई
निर्देश में कहा गया है कि आदेश का उल्लंघन करने वालों पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 के अंतर्गत उन्हें एक साल की सजा और जुर्माना देना हो सकता है। इतना ही नहीं आदेश के उल्लंघन करने की स्थिति में अगर किसी तरह के जानमाल की क्षति होती है तो उसे दो साल के जेल की सजा भी हो सकती है।
सिर्फ़ एक महीने तक के लिए ज़ारी किए गए हैं निर्देश
हालांकि यह आदेश सिर्फ एक महीने के किराये नहीं मांगने के लिए जारी किया गया है।उम्मीद है कि रेहड़ी-पटरी वाले और कामगार मजदूरों को इससे फौरी राहत मिली होगी.इससे पहले दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर शनिवार को हजारों की संख्या में प्रवासी इकट्ठा हुए थे। सभी अपने घर वापस लौटना चाहते थे. दरअसल लॉकडाउन की वजह से रोजगार खत्म हो गया है इसलिए इनके सामने रहने और खाने-पीने दोनों के लाले पड़ गए हैं।
मजदूरों की फ़िक्र इतनी देर से क्यों ?
हालांकि सबकी परेशानी देखते हुए योगी सरकार ने सभी कामगार मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए 1000 बसों की व्यवस्था की है. वहीं दिल्ली सरकार भी डीटीसी बसें भेज रही हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम भी उन्हें घर भेजने के लिए डीटीसी बसें दे रहे हैं. हालांकि मैं उनसे अपील करूंगा कि वो जहां हैं वहीं रुकें. क्योंकि पूरे देश में अभी लॉकडाउन है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को सभी राज्यों के नोडल ऑफिसर से मुलाकात की और उन्हें सभी पलायन मजदूरों को अपने घर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है. हालांकि उन्होंने सभी लोगों से यह भी अपील की है कि वो जहां हैं वहीं रहें और लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश को मानें.
लेकिन सवाल ये है कि जब कोरोना का संकट इतने करीब है, उसके बावजूद सरकार की तरफ से व्यवस्था में इतनी देर कहां लग गई है.