नई दिल्ली। भारत में 31 मार्च को समाप्त हुए एक साल में कुल 3,531 बच्चों को गोद लिया गया जिनमें 2,061 लड़कियां शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। आकंड़ों के अनुसार सभी राज्यों में से महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बच्चे गोद लिए गए।
केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच 1,470 लड़कों और 2,061 लड़कियों को गोद लिया गया।
देश भर में बेटों को प्राथमिकता देने के चलन के परिप्रेक्ष्य में एक अधिकारी ने कहा कि अब लोगों की मानसिकता धीरे-धीरे बदल रही है और वे लड़कियों को गोद लेने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, हम उन्हें तीन विकल्प देते हैं- वे लड़का या लड़की में से एक को चुनें या कोई प्राथमिकता न रखें। बहुत से लोग बच्ची को गोद लेने में रुचि दिखाते हैं।
हालांकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि ज्यादा लड़कियां इसलिए गोद ली जा रही हैं क्योंकि ऐसे बच्चों में लड़कियों की संख्या ज्यादा है।
गैर लाभकारी संगठन सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च’ की कार्यकारी निदेशक अखिला शिवदास ने कहा, किसी गोद लेने वाली संस्था में आप ऐसे ही चले जाइये तो पता चल जाएगा कि गोद लेने के लिए लड़कों से ज्यादा लड़कियां हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत से परिवारों में लड़कों को ही प्राथमिकता दी जाती है और वे बच्चा पैदा होने से पहले उसके लिंग का निर्धारण करने और गर्भ में लड़की होने पर गर्भपात कराने की सीमा तक चले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग लड़की पैदा होने पर उसका परित्याग तक कर देते हैं। आंकड़ों के अनुसार पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल मार्च के बीच 0-5 साल की आयु के 3,120 बच्चों को गोद लिया गया।
इस दौरान 5-18 साल की आयु के 411 बच्चों को गोद लिया गया। आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में सर्वाधिक 615 बच्चों को गोद लिया गया। इसके अलावा कर्नाटक में 272, तमिलनाडु में 271, उत्तर प्रदेश में 261 और ओडिशा में 251 बच्चों को गोद लिया गया।
अधिकारी ने कहा कि सामान्य तौर पर महाराष्ट्र में गोद लिए गए बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा इसलिए होती है क्योंकि वहां 60 से अधिक दत्तक-ग्रहण एजेंसियां हैं जबकि अन्य राज्यों में ऐसी औसतन 20 एजेंसियां हैं।