औरंगाबाद रेल हादसे पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, पटरियों पर सोएंगे मजदूर, तो कोई दुर्घटना कैसे रोकेगा?


याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का पलायन पूरी तरह रुक गया है। बावजूद इसके मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है और इस मामले में कोर्ट को कोई आदेश पारित करना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि जब लोग रेल की पटरियों पर सो जाएंगे, तो कोई उन्हें कैसे रोक सकता है?


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नई दिल्ली। औरंगाबाद में ट्रेन की पटरी पर कट कर मरे अप्रवासी मजदूरों के मामले को लेकर एक वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का पलायन पूरी तरह रुक गया है। बावजूद इसके मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है और इस मामले में कोर्ट को कोई आदेश पारित करना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि जब लोग रेल की पटरियों पर सो जाएंगे, तो कोई उन्हें कैसे रोक सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील को याचिका पर सवाल उठाते टिप्पणी की कि आजकल प्रत्येक एडवोकेट अखबार पढ़कर सब मामले में एक्सपर्ट बन जा रहे हैं। आपकी जानकारी केवल अखबारों की खबरों पर आधारित है। आप यह कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि हम कोई आदेश जारी करेंगे?



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