‘कोरोना काल’ में मनुष्य एवं प्रकृति के साथ सौहार्द में रहना होगा : उपराष्ट्रपति


उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपनी खुशी और सांसारिक उपलब्धियां हासिल करने के लिए लोग अकेला होने लगे थे। कोरोना के बाद के जीवन के बारे में उन्होंने कहा कि इसने अकेला जीवन व्यतीत करने के सिद्धांतों को तोड़ डाला है और प्रकृति एवं मानव के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवस्था में रहने की आवश्यकता को उजागर किया है।


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देश Updated On :

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ रहना सीखना पड़ेगा और महामारी से मिले सबक पर आधारित जीवन के नये तरीके अपनाने होंगे। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन 31 मई तक बढ़ाए जाने के एक दिन बाद नायडू ने फेसबुक पोस्ट में कोरोना काल में तनाव और चिंता छोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
नायडू ने कहा कि जीवन को अलग-थलग होकर नहीं गुजारा जा सकता है और वायरस के प्रसार ने जीवन के अंतर-संबंधों को उजागर किया है। उन्होंने कहा, चाहे बीमारी हो या अर्थव्यवस्था, किसी एक व्यक्ति को कहीं प्रभावित करने वाली चीज हर किसी को हर जगह प्रभावित करती है।

कोरोना से पहले के जीवन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपनी खुशी और सांसारिक उपलब्धियां हासिल करने के लिए लोग अकेला होने लगे थे। कोरोना के बाद के जीवन के बारे में उन्होंने कहा कि इसने अकेला जीवन व्यतीत करने के सिद्धांतों को तोड़ डाला है और प्रकृति एवं मानव के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवस्था में रहने की आवश्यकता को उजागर किया है।



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