
नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन एवं आईसीयू बेड की संख्या कम पड़ जाने का उल्लेख करते हुए शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि आखिर पहली लहर के बाद विशेषज्ञों और संसदीय समिति की चेतावनियों को अनसुना करते हुए अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या क्यों घटाई गई।
उन्होंने सरकार से प्रश्न करने की अपनी श्रृंखला ‘जिम्मेदार कौन’ के तहत किए गए फेसबुक पोस्ट में यह भी पूछा कि ‘‘क्या देश के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री निवास और नयी संसद का निर्माण है?’’
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी से युद्ध जीत लेने की घोषणा कर रहे थे उसी समय देश में ऑक्सीजन, आईसीयू एवं वेंटिलेटर बेडों की संख्या कम की जा रही थी, लेकिन ‘झूठे प्रचार में लिप्त’ सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
जब जनवरी में प्रधानमन्त्री जी “कोरोना से युद्ध जीत लेने” की झूठी घोषणाएं कर रहे थे, उसी समय देश में ऑक्सीजन बेडों की संख्या 36%, आईसीयू बेडों की संख्या 46% और वेंटिलेटर बेडों की संख्या 28% घटा दी गई।
स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने की सलाहों को दरकिनार किया।
जिम्मेदार कौन? pic.twitter.com/jxW3Cflo6b
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 5, 2021
उन्होंने कहा, ‘‘सितम्बर 2020 में भारत में 2,47,972 ऑक्सीजन बेड थे, जो 28 जनवरी 2021 तक 36 प्रतिशत घटकर 1,57,344 रह गए। इसी दौरान आईसीयू बेड 66,638 से 46 प्रतिशत घटकर 36,008 और वेंटिलेटर बेड 33,024 से 28 प्रतिशत घटकर 23,618 रह गए।’’ प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ पिछले साल स्वास्थ्य मामलों की संसद की स्थाई समिति ने कोरोना की भयावहता का जिक्र करते हुए अस्पताल के बिस्तरों, ऑक्सीजन आदि की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी। मगर सरकार का ध्यान कहीं और था।’’
प्रियंका गांधी ने कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता और आम लोगों की परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जिस समय देश भर में लाखों लोग अस्पतालों में बिस्तरों की गुहार लगा रहे थे उस समय सरकार के आरोग्य सेतु जैसे ऐप और अन्य डाटाबेस किसी काम के नहीं निकले।’’ कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘‘2014 में सरकार में आते ही स्वास्थ्य बजट में 20 प्रतिशत की कटौती करने वाली मोदी सरकार ने 2014 में 15 एम्स बनाने की घोषणा की थी। इनमें से एक भी एम्स आज सक्रिय अस्पताल के रूप में काम नहीं कर रहा है। 2018 से ही संसद की स्थाई समिति ने एम्स अस्पतालों में शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों की कमी की बात सरकार के सामने रखी है, लेकिन सरकार ने उसे अनसुना कर दिया।’’ उन्होंने सरकार से पूछा, ‘‘तैयारी के लिए एक साल होने के बावजूद आखिर क्यों केंद्र सरकार ने ये समय “हम कोरोना से युद्ध जीत गए हैं” जैसी झूठी बयानबाजी में गुजार दिया और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के बजाय कम क्यों होने दी?’’
प्रियंका ने यह सवाल भी किया कि मोदी सरकार ने विशेषज्ञों और स्वास्थ्य मामलों की संसद की स्थाई समिति की चेतावनी को नकारते भारत के हर ज़िले में उन्नत स्वास्थ सुविधाओं को उपलब्ध करने का कार्य क्यों नहीं किया?