अपने पारंपरिक ज्ञान से है भारत का गौरव, दूसरे देशों की नकल करने की जरूरत नहीं : भागवत


भागवत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रकाशित किताब ‘भारत वैभव’ के विमोचन के मौके पर लोगों को संबोधित किया।


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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि भारत का गौरव अपने पारंपरिक ज्ञान पर है और उसे दूसरे देशों की नकल करने की जरूरत नहीं है।

भागवत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) द्वारा प्रकाशित किताब ‘भारत वैभव’ के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘‘भारत का गौरव इसका पारंपरिक ज्ञान है। भारत का उदय अपनी ज्ञान परंपरा को पूरी दुनिया के साथ साझा करने के लिए हुआ था…भारत के बारे में ज्ञान के सागर का सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए और व्यापक रूप से प्रचारित किया जाना चाहिए।’’

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि हम चीन या अमेरिका अथवा रूस की तरह क्यों नहीं कर सकते। मैं कहना चाहूंगा कि हमें किसी दूसरे देश की नकल क्यों करनी है, हमें उनकी तरह क्यों करना है, हमें अपने तरीके से काम करना चाहिए।’’

भागवत ने दावा किया कि पहले की शिक्षा नीति ‘‘हमारे अपने लोगों के महान कार्यों’’ के बारे में पर्याप्त रूप से नहीं बताती थी और कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को महत्व देगी।

‘भारत वैभव’ किताब भारत के विभिन्न आयामों और इसकी पारंपरिक ज्ञान प्रणाली, इसकी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता तथा आज की दुनिया के लिए इसकी आवश्यकता को प्रस्तुत करती है।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का मनोबल और आत्मविश्वास उसकी संस्कृति की मदद से ही जागा है। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय संस्कृति शाश्वत है और यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इसे अपने जीवन में आत्मसात करने और अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी देने का भरसक प्रयास करें।’’



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