नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा के लिए किसी भी केंद्रीय सुरक्षा बल को तैनात करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग कर रहे एक याचिकाकर्ता से कहा कि इस मामले में याचिकाएं बढ़ाईं नहीं जायें। न्यायालय ने यह भी कहा कि मुख्य मामले में बांध से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने नई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांक उसे लंबित मामले में पक्षकार बनने के लिए औपचारिक आवेदन दाखिल करने की छूट दे दी।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की खंडपीठ ने कहा, ‘‘आप मामलों की संख्या क्यों बढ़ाना चाहते हैं? सभी मुद्दों पर मुख्य मामले में विचार किया जाएगा।’’
पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सी आर जय सुकिन से कहा, “रिट याचिकाओं की संख्या नहीं बढाएं। कोई भी व्यक्ति आएगा और याचिका दायर करना कर शुरू कर देगा। मुख्य मुद्दा लंबित है और अब इसकी सुनवाई में तेजी लाई जा रही है।’’
शीर्ष अदालत ने 22 नवंबर को कहा था कि 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बने बांध से संबंधित मुद्दों पर 10 दिसंबर को सुनवाई होगी, क्योंकि इसके पक्षकारों ने कहा था कि मुख्य मामले को तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
सोमवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुकिन ने पीठ से कहा कि किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति ने बांध के लिए बढ़ते जल स्तर के खतरे के बारे में कुछ नहीं कहा है।
जब शीर्ष अदालत ने कहा कि मुख्य मामले में सभी मुद्दों पर विचार किया जाएगा, तो अधिवक्ता ने पीठ से याचिका पर नोटिस जारी करने और इसे लंबित मामले के साथ सम्बद्ध करने का अनुरोध किया। लेकिन पीठ ने कहा, ‘‘हम आपको इस मामले में पक्षकार बनाने की छूट देने के साथ याचिका का निपटारा कर रहे हैं।’’
तमिलनाडु निवासी की याचिका में बांध को बंद करने की मांग की गई है और आंदोलनकारियों ने अब अपना रुख ‘‘कठोर” कर दिया है और वे मांग कर रहे हैं कि एक नया बांध बनाया जाए।’’
मुख्य मामले में शीर्ष अदालत ने 22 नवंबर को कहा था कि बांध से संबंधित कई याचिकाएं लंबित हैं और वह एक ही कार्यवाही में उठाए गए सभी मुद्दों से निपटेगी।
शीर्ष अदालत ने 28 अक्टूबर को कहा था कि तमिलनाडु और केरल विशेषज्ञ समिति द्वारा अधिसूचित जल स्तर का पालन करेंगे।