नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को वैचारिक लड़ाई का मैदान नहीं बनना चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘ विश्वविद्यालयों को विचार आदान-प्रदान करने का मंच बनना चाहिए, वैचारिक लड़ाई का स्थान नहीं।’’
रक्षा नीति पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले, भारत के पास कोई रक्षा नीति नहीं थी और अगर थी भी तो वह विदेश नीति की एक ‘‘परछाई’’ मात्र थी।
देश द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने दिखाया है कि उनके लिए रक्षा नीति का क्या मतलब है।
शाह ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले, भारत के पास कोई रक्षा नीति नहीं थी। अगर थी भी तो वह विदेश नीति की महज एक परछाई मात्र थी। पहले, आतंकवादी हम पर हमला करने के लिए भेजे जाते थे और उरी तथा पुलवामा हमलों में भी ऐसा ही करने की कोशिश की गई, लेकिन हमने सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों से दिख दिया कि हमारी रक्षा नीति के क्या मायने हैं।’’