
जब फिल्म फैन का प्रमोशन दौर चल रहा था तब एक इवेंट के दौरान शाहरुख़ खान ने कहा था की जवानी के दिनों में उनको ये लगता था की उनका चेहरा कुमार गौरव से मिलता है और फिल्म जगत मे कुमार गौरव ही एक ऐसे कलाकार थे जिनसे मिलने की वो ख्वाहिश रखते थे। शाहरुख़ खान की इस सोच में कोई नयी बात नहीं है क्योंकि जब शाहरुख़ खान 16 साल के थे तब कुमार गौरव की फिल्म लव स्टोरी बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ हुई थी और रिलीज़ के तुरंत बाद उनको एक सुपरस्टार का दर्ज़ा मिल गया था। आलम कुछ वैसा ही था जो हृतिक रोशन की फिल्म कहो ना प्यार है के रिलीज़ के बाद हुआ था। इसके पहले राज कपूर की फिल्म सत्यम शिवम् सुंदरम में बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर के रूप में काम कर चुके कुमार गौरव के घर के बाहर लव स्टोरी की सफलता के बाद निर्माताओं की भीड़ लग गयी थी। सफलता का आलम ये था की यह फिल्म मुंबई के कुछ सिनेमाघरो में एक साल तक चली थी। आगे चल कर फिल्म तेरी कसम, लवर्स, स्टार और रोमांस भले ही उतनी कामयाब न रही हो लेकिन इन फिल्मों के गानों ने उनके सुपरस्टार के ओहदे को एक मूर्त रूप दे दिया था।
लेकिन इसके बाद कुमार गौरव के फ़िल्मी करियर ने जो यू-टर्न लिया उसकी मिसाल ढूंढ़ने से भी नहीं मिलती है। सफलता उनको दोबारा नसीब हुई लेकिन ५ साल के बाद, जब महेश भट्ट ने उनको और संजय दत्त के साथ नाम फिल्म बनाई। ये किस्मत का ही हेरफेर था की सधी हुई एक्टिंग के बावजूद फिल्म की सफलता का सेहरा संजय दत्त के माथे पर बंधा। लेकिन इस बार उनको यही लगा की उनकी वापसी हो गयी है और लव स्टोरी के बाद की कहानी एक बार फिर से दोहराई जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। फिल्म की सफलता ने उनको बदल दिया और उस दौरान उनको जितनी भी फिल्में ऑफर की गयी जिसमे नयी अभिनेत्रियां थी उन सभी को उन्होंने सरे से खारिज कर दिया। उनकी यही डिमांड थी की वो जो भी फिल्म करेंगे उसमे एक स्थापित अभिनेत्री होनी चाहिए।
उन्ही दिनों निर्माता दिनेश बंसल ने कुमार गौरव को एक फिल्म का ऑफर दिया जिसके लिए उन्होंने यास्मीन नाम की अभिनेत्री को पहले ही साइन कर लिया था। जब कुमार गौरव को इस बात का पता चला की उनके ऑपोसिट के नयी अभिनेत्री है तब उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया। ये किस्मत की ही बात थी आगे चल कर यास्मीन को राज कपूर की फिल्म राम तेरी गंगा मैली में काम करने का मौका मिला और आगे चल कर मन्दाकिनी के नाम से शोहरत बटोरी। कुछ सालों के बाद जब फिल्म जीवा के लिए कुमार गौरव को साइन किया गया और जब अभिनेत्री लेने की बात चली तो कुमार गौरव ने खुद मन्दाकिनी के नाम की सिफारिश की। मन्दाकिनी को जब इस बात का इल्म हुआ तब उन्होंने एक शर्त रखी की वो फिल्म में काम जरुर करेंगी लेकिन उस फिल्म में कुमार गौरव नहीं हो सकते। कुमार गौरव के लिए के लिए ये एक जिल्लत की बात थी क्योकि निर्माता ने उनको फिल्म से बाहर कर दिया। इस घटना ने ये भी साबित किया की समय का पहिया अब पूरा एक चक्कर लगा चुका था। आगे चल के मन्दाकिनी ने फिल्म में काम किया लेकिन उस फिल्म में उसके हीरो कुमार गौरव के बदले संजय दत्त थे।
इस घटना के बाद इस बार समय का पहिया कुछ ऐसा घुमा की उसके बाद कुमार गौरव का फिल्मी करियर कभी भी उबर नहीं पाया। 1986 में उनकी फिल्म नाम आयी थी और 2000 तक उन्होंने फिल्में की लेकिन उनकी एक भी फिल्म सफल नहीं हो पायी। कुमार गौरव के करियर को इस मोड पर लाने में उनके पिता राजेंद्र कुमार का भी बहुत बड़ा हाथ था। उनकी पहली फिल्म लव स्टोरी के बारे में ऐसा कहा जाता है की पूरी फिल्म का निर्देशन राहुल रवैल ने किया था लेकिन आगे चल कर राहुल रवैल और कुमार गौरव के पिता राजेंद्र कुमार के बीच दूरिया आ गयी थी। राजेंद्र कुमार का यही कहना था की सनी देओल की फिल्म बेताब का उसी दौरान निर्देशन करने की वजह से राहुल फिल्म पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे। बाद में आगे चल कर डेविड धवन ने फिल्म को पूरा किया था। कुमार गौरव की हर फिल्म को राजेंद्र कुमार पहले परखते थे और उसके बाद ही ग्रीन सिग्नल देते थे। उनके इस तरह से काम करने के पैटर्न कई लोगो को नागवार लगा। राजेंद्र कुमार ने अपने बेटे को सुपरस्टार बनाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन इस कोशिश मे वो नाकाम ही रहे।