नागपुर जेल में कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए प्रो.जीएन साईबाबा के परिजनों ने की पेरोल की मांग


ए एस वसंथा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। हमारे मौलिक अधिकारों को लागू कराता है।
वहीं भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के कैदियों संबंधी कनवेंशन को भी मानता है
जिसमें कैदियों को भी स्वास्थ्य और सम्मान पूर्वक जीवन जीने के अधिकार दिये
गये हैं।


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नागपुर। नागपुर जेल में नक्सलियों से संबंध के आरोप में बंद प्रो. साईबाबा को उनके परिजनों ने कोरोना महामारी के दौर में नाजुक स्वास्थ्य कारणों से बेल या पेरोल पर छोड़ने की मांग की है। दिल्ली विवि (डीयू) के प्रोफेसर साईबाबा की पत्नी ए एस वसंथा कुमारी ने नागपुर जेल में कोरोना संक्रमण व सुविधा को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि उनके पति पहले ही कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित हैं उनको घर पर रखकर इलाज कराने की सुविधा दिया जाए, साथ ही वो जेल में फैलते कोरोना संक्रमण से ग्रसित नहीं हो सकें।

ए एस वसंथा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। हमारे मौलिक अधिकारों को लागू कराता है। वहीं भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के कैदियों संबंधी कनवेंशन को भी मानता है जिसमें कैदियों को भी स्वास्थ्य और सम्मान पूर्वक जीवन जीने के अधिकार दिये गये हैं।

हालांकि, जेल प्रशासन ने प्रो. साईबाबा को वकील और परिजनों के सामने अपनी स्थिति साझा करने की विशेष सुविधा दिया है। प्रोफेसर ने अपने घरवालों और वकील को जेल के अंदर कोरोना संक्रमण बढ़ने के बारे में जानकारी दी थी। उनके मुताबिक, वहां 100 से ज्यादा लोग कोरोना से प्रभावित हुए हैं। जेल परिसर में कैदियों समेत जेल के सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी कोरोना वायरस से पीड़ित हैं।

साईबाबा के मुताबिक, 8 जुलाई को 20 कैदियों की कोरोना जांच हुई जिसमें से एक कैदी कोरोना से संक्रमित पाया गया। उनका कहना है कि संक्रमण मेरे बहुत नजदीक है। थोड़े समय की देरी है कोरोना मेरे सेल में होगा।

अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, कमजोर प्रतिरोध क्षमता होने के कारण आगे मेरी स्थिति खराब हो सकती है। अधिकारियों के बैरकों में  घुमने से कोरोना संक्रमण फैल रहा है। यहां विशेष देखरेख का अभाव है।

53 साल के साईबाबा का कहना है कि वह आसानी से कोरोना का टारगेट हो सकते हैं। इससे उबरने की क्षमता उनमें नहीं है। जेल प्रशासन ने उनके लिए हेल्पर उपलब्ध नहीं कराया है। इससे वह गंदे माहौल में रहने के लिए बेबस हैं।

वहीं 6 जुलाई को साईबाबा के स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर जेल प्रशासन ने कई तरह के जांच कराए। अस्पताल ने साईबाबा को दर्द संबंधित दवाएं दी थी। साईबाबा के एमआरआई-ब्रेन स्कैन और अन्य जांच कराए गये थे जिनके रिपोर्ट परिजनों को नहीं दिया, इस पर परिजनों का कहना है कि यदि उनको वो रिपोर्ट मिले होते तो वो अपने पारिवारिक चिकित्सक से स्वास्थ्य संबंधी सलाह ले सकते थे। वहीं प्रोफेस की पत्नी ए एस वसंथा कुमारी ने नागपुर जेल में कोरोना
संक्रमण व सुविधा को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार से बेल या पेरोल पर साईबाबा को छोड़ने की गुहार
लगाई है।



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