डिजिटल इंडिया आम आदमी के लिए वरदान, ठगों की भी चांदी


शारदा ने कहा, आरबीआई का जवाब डराने वाला है, जिस तरह डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, उसी तरह आभासी दुनिया में जालसाज और घोटालेबाज और भी साहसी हो रहे हैं।


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महाराष्ट्र Updated On :

पुणे। आरटीआई के तहत सामने आए ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में डिजिटल भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता न केवल आम आदमी, बल्कि साइबर ठगों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है। पुणे के व्यवसायी प्रफुल्ल पी. शारदा ने भारतीय रिजर्व बैंक से ऑनलाइन-डिजिटल-कार्ड धोखाधड़ी का विवरण मांगा था।

शारदा ने कहा, आरबीआई का जवाब डराने वाला है, जिस तरह डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, उसी तरह आभासी दुनिया में जालसाज और घोटालेबाज और भी साहसी हो रहे हैं।

जनवरी 2014 से दिसंबर 2022 तक, 1,40,736 एटीएम/डेबिट कार्ड के मामले में 507.12 करोड़ रुपये की ठगी, क्रेडिट कार्ड के 1,37,237 मामले में 514.90 करोड़ रुपये की ठगी और 354.78 करोड़ रुपये के 61,561 इंटरनेट बैंकिंग घोटाले हुए।

शारदा ने कहा कि ठगी के बढ़ते वार्षिक आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

2014-2015 में सिर्फ 71 एटीएम/डेबिट कार्ड धोखाधड़ी हुई। यह 2019-2020 में 36,978 तक पहुंच गया, इसी अवधि में 1.51 करोड़ रुपये से बढ़कर 102.13 करोड़ रुपये की ठगी हुई। हालांकि 2022-2023 में यह घटकर 7,395 पर पहुंच गया और 29.21 करोड़ रुपये की ठगी हुई।

2014-2015 में क्रेडिट कार्ड के 119 घोटाले हुए, इसमें 3.41 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी, जो 2019-2020 में 74.69 करोड़ रुपये की राशि के साथ 26,580 घटनाओं तक पहुंच गई।

हालांकि, क्रेडिट कार्ड में, धोखाधड़ी की संख्या घटकर 20,017 हो गई, इसमें 93.89 करोड़ रुपये (2022-2023) का नुकसान हुआ, जो दर्शाता है कि ठग ‘होशियार’ हो रहे हैं।

जहां तक इंटरनेट बैंकिंग की बात है, तो 2.20 करोड़ रुपये (2014-2015) के 42 धोखाधड़ी थे, जो कि (2020-2021) में 86.66 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ 20,476 हो गए। यह घटकर 69.96 करोड़ रुपये (2022-2023) से जुड़े 8,121 मामले रह गए हैं।

शारदा ने कहा, आंकड़े बताते हैं कि आरबीआई, बैंकों और अन्य एजेंसियों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के लिए सबसे आसान है, इसके बाद एटीएम/डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग हैं।

इसके अतिरिक्त, पर्यवेक्षित संस्थाओं द्वारा प्रदान किए गए ऑफसाइट रिटर्न डेटा के आधार पर, 322.92 करोड़ रुपये (2020-2021) की राशि के साथ डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड से जुड़े 2,99,765 साइबर धोखाधड़ी हुई, मामले घटकर 2,21,705 रह गए, लेकिन 392.54 करोड़ रुपये की अधिक राशि चली गई (2021-2022); और 162.15 करोड़ रुपये की राशि (अप्रैल 2022 – सितंबर 2022 की अवधि) के नुकसान के साथ घोटाले घटकर 65,271 रह गए।

इसी तरह, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और यूपीआई भुगतान के लिए डिजिटल भुगतान साइबर धोखाधड़ी 636.12 करोड़ रुपये (2020-2021) के साथ 4,49,684 थी; 816.40 करोड़ रुपये (2021-2022) तक की राशि के नुकसान के साथ 3,59,791 घोटाले; और धोखाधड़ी में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, 148,887 मामलों में 418.31 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ (अप्रैल 2022 – सितंबर 2022 की अवधि)।

आरबीआई ने कहा कि उसने धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों को 16 सकरुलर जारी किए हैं, उन्हें इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए उपयुक्त उपचारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।

नियामक ने भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिए मजबूत स्व-नियामक संगठन, प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक, अनिवार्य पिन प्रमाणीकरण, अलर्ट सिस्टम, केवल घरेलू कार्ड उपयोग तंत्र, तत्काल घटना रिपोटिर्ंग तंत्र, जोखिम कम करने के उपाय और दो कारक प्रमाणीकरण का भी सुझाव दिया है।

शारदा ने कहा कि सरकार के उपाय वास्तव में प्रशंसनीय हैं, आरटीआई डेटा इंगित करता है कि यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक गुंजाइश है कि बैंक हमेशा ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वालों से एक कदम आगे रहें ताकि डिजिटल लेनदेन के दौरान पैसा या आम लोग सुरक्षित रहें।



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