शिवसेना सांसद संजय राउत बोले-‘जबसे बीजेपी सत्ता में आई है तब से संवैधानिक तरीके से चुनाव नहीं हो रहे’


संजय राउत ने कहा, महाराष्ट्र की तरह अन्य राज्यों में भी मतदाता सूची में गड़बड़ियां हैं।” राउत ने कहा कि अन्ना हजारे क्या कहते हैं, इसका कोई महत्व नहीं। मोदी के कार्यकाल में जो भ्रष्टाचार हुआ, तब अन्ना हजारे कहां थे?


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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर शिवसेना-यूबीटी के सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में राजनीति में जीत-हार होती रहती है। लेकिन पिछले दस वर्षों में, जब से बीजेपी सत्ता में आई है, तब से संवैधानिक तरीके से चुनाव नहीं हो रहे। जीत के लिए साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि अगर कांग्रेस और आप साथ मिलकर लड़ती, तो नतीजे अलग होते। इससे हमें सबक लेना चाहिए।

संजय राउत ने कहा, ”महाराष्ट्र की तरह अन्य राज्यों में भी मतदाता सूची में गड़बड़ियां हैं।” राउत ने कहा कि अन्ना हजारे क्या कहते हैं, इसका कोई महत्व नहीं। मोदी के कार्यकाल में जो भ्रष्टाचार हुआ, तब अन्ना हजारे कहां थे? केजरीवाल की हार से अन्ना हजारे खुश हो गए। देश लूटा जा रहा है, सबकुछ एक ही उद्योगपति के हाथ में दिया जा रहा है। क्या इससे लोकतंत्र बच पाएगा?

शिवसेना-यूबीटी सांसद ने कहा कि अगर हम कुर्सी के लिए लड़ रहे थे, तो वे किसलिए लड़ रहे थे? महाराष्ट्र की सरकार सिर्फ एक तमाशा बन गई है। मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने के बाद फडणवीस का चेहरा देखा है और जिनकी कुर्सी चली गई, वे कैसे रूठकर बैठे हैं, यह भी देखा है, अगर अमित शाह ने अपना वादा निभाया होता, तो यह घटना नहीं होती।

राउत ने कहा कि वे कह रहे हैं कि 2019 में बातचीत हुई थी, तो 2014 में क्या हुआ था? बीजेपी ने तब गठबंधन क्यों तोड़ा था? बीजेपी ने शिवसेना प्रमुख नहीं रहे, इस खुशी में चुनाव लड़ा, फडणवीस को जीत का नशा हो गया है, या बार-बार जीत देखकर वे डिप्रेशन में चले गए हैं। शिंदे का “ऑपरेशन” कब अमित शाह करेंगे, यह खुद शिंदे को भी पता नहीं चलेगा। अगर आरोपी गिरफ्तार नहीं हो रहे हैं, तो फडणवीस कहते हैं कि किसी को नहीं छोड़ेंगे। फिर आरोपी को अरेस्ट क्यों नहीं किया जाता?

राउत ने कहा कि बीड में जाकर मुख्यमंत्री फूल-माला स्वीकार कर रहे हैं। यह सब मिलीभगत है, क्या जरांगे पाटिल के मुद्दों को दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है? मुख्यमंत्री आखिर किसका समर्थन कर रहे हैं? क्या बीड की जनता को बेवकूफ समझ लिया गया है?



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