
नई दिल्ली। नये कृषि कानून को खत्म करने की मांग करते हुए दिल्ली की सीमा पर विगत दो महीने से देश भर के किसान धरना दे रहे हैं। केंद्र सरकार से कई चक्र बातचीत के बाद कोई समाधान नहीं निकला, तो किसानों ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर परेड निकलाने का निर्णय लिया था।
इस दौरान राजधानी में कई स्थानों पर हिंसा हुई और अब किसान नेताओं पर कानून का चाबुक चलने लगा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के किसान नेताओं पर कार्रवाई करने की बात कहने और घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल जाकर देखने के बाद मामला गरमाता दिख रहा है।
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के बाद किसानों ने 1 फरवरी को बजट पेश होने के अवसर पर संसद मार्च करने की योजना थी। लेकिन 26 जनवरी को हुई तथाकथित सरकार प्रायोजित हिंसा के बाद किसान नेताओं ने संसद मार्च को रद्द कर दिया है।
किसानों के धरने-प्रदर्शन पर अभी तक मौन साधे राजनीतिक दल अब किसानों के साथ आते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस समेत देश के 16 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति कोविंद के संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज होगा।
विपक्षी दलों के नेताओं ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘किसानों की मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार अहंकारी, अड़ियल और अलोकतांत्रिक बनी हुई है। सरकार की असंवेदनशीलता से स्तब्ध हम विपक्षी दलों ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग दोहराते हुए और किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए यह फैसला किया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया जाएगा।’’
बयान में कहा गया है कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ ने संयुक्त रूप से यह फैसला किया है।