नई दिल्ली। भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश कहा जाता है लेकिन अमेरिका सबसे पुराने लोकतंत्र के रूप में विख्यात है। हाल में जो कुछ भी अमेरिका में हुआ, उसे एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में कत्तई स्वीकार नहीं किया जा सकता। जिस तरह से अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने वहां के कैपिटल हिल में हंगामा और हिंसात्मक प्रदर्शन किया, उसको लेकर विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची है। अमेरिका आज के वक्त में पूरे विश्व में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस पूरे मामले में ये भी खबर आ रही है ट्रंप एक व्यवस्थित तरीके से जो बाइडन को सत्ता हस्तांतरित करने को तैया हैं।
अमेरिका के इतिहास में वहां के लोकतंत्र पर ऐसी चोट शायद ही कभी लगी हो, लेकिन इतना तो तय माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जिनकी वहां से शर्मनाक विदाई होगी। पिछले दो दिनों में अमेरिका में ट्रंप समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन के चलते अब तक महिला सहित 5 लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका की राजनीती की बात करें तो रिपब्लिकन पार्टी काफी पुरानी है और 2020 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप इसी पार्टी के उम्मीदवार थे।
डोनाल्ड ट्रंप अगले चार सालों तक अमेरिका के राष्ट्रपति बने रहने को बेचैन हैं। अमरीका की दूसरी प्रमुख पार्टी डेमोक्रेट्स एक लिबरल पार्टी है और पिछले साल के चुनाव में जो बाइडन इस पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार थे और उन्होंने जीत भी दर्ज की। अगले 20 जनवरी को जो बाइडन को अमेरिका के राष्ट्रपति की शपथ लेनी है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का तरीका कुछ अलग है। अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हमेशा उस उम्मीदवार की नहीं होती है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा वोट आते हैं इसके बदले उम्मीदवारों को इलेक्टोरल कॉलेज वोट में जीतना होता है। हर राज्य में एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं। यह राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करता है. कुल 538 वोट होते हैं जिनमें से 270 या फिर उससे ज्यादा वोट जीतने के लिए हासिल करने होते हैं।
यहां गौरतलब है कि सत्ता हाथ से जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक बुधवार/बृहस्पतिवार को कैपिटल हिल के कैंपस में घुस गए थे। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हुई। इस दौरान ट्रंप समर्थकों ने फायरिंग कर दी जिससे महिला सहित 5 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। हालात बेकाबू होता देख अमेरिका की सेना को कैपिटल हिल बुलाना पड़ा।
अमेरिकी लोकतंत्र में कैपिटल हिल का खासा महत्व इसलिए है क्योंकि यह अमेरिकी कांग्रेस का मुकाम है। करीब दो शताब्दियों से यहां अमेरिका के दोनों सदनों के चेम्बर हैं और कई ऐतिहासिक फैसले और गतिविधियां यहां की यादों में शुमार रही हैं। कैपिटल भवन 1793 में शुरू हुआ था लेकिन इसका निर्माण कई चरणों में होता रहा।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन के नाम पर मोहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया बाधित हुई। कांग्रेस के सदस्य बुधवार को इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती कर रहे थे, इसी दौरान बड़ी संख्या में ट्रंप के समर्थक सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए कैपिटल परिसर में घुस गए। पुलिस को इन प्रदर्शनकारियों को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।