केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने अहमदाबाद में एक बड़े इंश्योरेंस घोटाले में पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा, अदालत ने इन पर कुल 5.91 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें से 5.52 करोड़ रुपये दो निजी कंपनियों पर लगाए गए हैं।
कौन-कौन हुआ दोषी?
CBI की विशेष अदालत कोर्ट नंबर-02, अहमदाबाद ने जिन आरोपियों को सजा सुनाई है, उनमें शामिल हैं:
1. मधुसूदन बी पटेल, तत्कालीन डिविजनल मैनेजर, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (UIICL), अहमदाबाद।
2. पंकज गुप्ता, एमडी, आइवरी इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड।
3. इंदरजोत सिंह, डायरेक्टर, सेफवे इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड।
4. दो निजी कंपनियां – आइवरी इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्रा. लि. और सेफवे इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्रा. लि.।
क्या था घोटाला?
CBI ने 6 फरवरी 2012 को इस मामले में केस दर्ज किया था। जांच में पता चला कि मधुसूदन बी पटेल ने मार्च 2007 से नवंबर 2010 के बीच अहमदाबाद स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (UIICL) के डिविजनल ऑफिस-06 में रहते हुए, गुजरात सरकार के गुजरात इंश्योरेंस फंड (GIF) के लिए गुप्त तरीके से ग्रुप जनता पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी जारी की थी।
यूजर-आईडी और पासवर्ड का गलत इस्तेमाल किया है
इन पॉलिसी को जारी करते समय पटेल ने अपने यूजर-आईडी और पासवर्ड का गलत इस्तेमाल किया और दो निजी ब्रोकर्स- आइवरी इंश्योरेंस ब्रोकर्स और सेफवे इंश्योरेंस ब्रोकर्स के नाम पर पॉलिसी रजिस्टर कर दी, जबकि गुजरात इंश्योरेंस फंड (GIF) ने इन ब्रोकर्स को कोई अधिकृत आदेश (मैंडेट) नहीं दिया था।
इस धांधली की वजह से 2.69 करोड़ रुपये की गलत तरीके से ब्रोकरेज भुगतान हुआ, जिससे सरकारी इंश्योरेंस कंपनी UIICL को भारी नुकसान हुआ और निजी कंपनियों को अनुचित लाभ मिला।
CBI की कार्रवाई और कोर्ट का फैसला
CBI ने 7 दिसंबर 2012 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान 20 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और 61 दस्तावेजों को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सभी सबूतों को देखने के बाद आरोपियों को दोषी माना और 5 साल की कठोर सजा सुनाई। साथ ही 5.91 करोड़ रुपये का कुल जुर्माना भी लगाया।
क्या है यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी?
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (UIICL) एक सरकारी बीमा कंपनी है, जो 1972 में राष्ट्रीयकरण के बाद बनी थी। यह कंपनी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती है और देशभर में लाखों पॉलिसीधारकों को बीमा सेवाएं देती है। सरकारी कंपनियों में घोटालों से जनता की गाढ़ी कमाई का नुकसान होता है, इसलिए CBI और अन्य एजेंसियां ऐसे मामलों की जांच करके दोषियों को सजा दिलाने का काम करती हैं।