नई दिल्ली। राज्यसभा ने मंगलवार को गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020 पारित कर दिया जिसमें गर्भपात की मंजूर सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसे व्यापक विचार विमर्श कर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों के अलावा राज्य सरकारों, विभिन्न पक्षों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों के संगठनों से भी इस पर विचार विमर्श किया गया।
Provisions of MTP (Amendment) Bill include:
• Increase in gestation limit for abortion from 20 to 24 weeks for rape survivors, victims of atrocities, other vulnerable women including minors, differently-abled
• No Gestation limit in case of substantial foetal abnormalities pic.twitter.com/duyUl3hsFW
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) March 16, 2021
उन्होंने कहा कि इस संबंध में चर्चा के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) भी गठित किया गया था। उन्होंने कहा कि आचार समिति के साथ भी चर्चा की गयी, तब जाकर इस विधेयक को आकार दिया गया।
उन्होंने कहा कि लोकसभा में भी इस पर विस्तृत चर्चा हुयी थी और इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
विधेयक पर हुयी चर्चा में कई सदस्यों ने देश में स्वास्थ्य कर्मियों व सुविधाओं की कमी का जिक्र किया था। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में बढोतरी पर जोर दिया गया है।
A historic bill ensuring dignity, safety & wellbeing of women!
The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill 2020 passed in #RajyaSabha today will enhance access to comprehensive abortion care for women in need & strengthen confidentiality clause as well.@MoHFW_INDIA pic.twitter.com/IGJCRNd9RC
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) March 16, 2021
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए 50 साल पुराने कानून की कमियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि गर्भपात के संबंध में विभिन्न देशों के कानूनों का अध्ययन कर इसे तैयार किया गया है।
चर्चा में कई सदस्यों ने कहा था कि इस विधेयक के प्रावधानों से महिलाओं की गरिमा एवं सम्मान पर असर पड़ेगा। इस संदर्भ में हर्षवर्धन ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ऐसा कोई कानून नहीं बनाएगी जो किसी भी तरीके से महिलाओं के खिलाफ हो या उनके लिए अहितकारी हो।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने सहित अन्य विपक्षी संशोधनों को अस्वीकार कर दिया वहीं सरकार द्वारा लाए गए संशोधनों को स्वीकार कर लिया।
#RajyaSabha में व्यापक चर्चा के बाद ‘ The National Commission for Allied & Healthcare Professions Bill, 2020’ को ध्वनिमत से पास करने के लिए माननीय सदस्यों का आभार!
इस बिल के दायरे में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल कर उनके पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। pic.twitter.com/lyQ1r6akGG
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) March 16, 2021
इससे पूर्व कांग्रेस सहित कई दलों ने विधेयक को गहन चर्चा के लिए प्रवर समिति में भेजने की मांग की और कहा कि प्रभावित पक्षों से भी बातचीत की जानी चाहिए। विपक्ष ने कहा कि बलात्कार जैसे मामलों में गर्भपात को लेकर संवेदनशील व्यवहार किया जाना चाहिए तथा विधेयक के प्रावधानों से महिलाओं को गरिमा और न्याय नहीं मिल सकेगा।