अवमानना केस: प्रशांत भूषण का सुप्रीम कोर्ट से दो याचिकाओं पर विचार का अनुरोध

नई दिल्ली। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दायर कर यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि उन्हें अवमानना का दोषी ठहराने और सजा के आदेशों पर पुनर्विचार के लिये दायर दो याचिकायें उनकी अलग से दायर याचिका पर फैसला होने के बाद सूचीबद्ध की जायें। इस अलग याचिका में भूषण ने इस तरह के मामले में अपील करने के अधिकार का सवाल उठाया है।

प्रशांत भूषण ने यह आवेदन न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष चैबर में उनकी पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार होने से एक दिन पहले दाखिल किया है। न्यायालय की अवमानना के अपराध में दोषी ठहराए जाने और सजा देने के आदेशों के खिलाफ भूषण की पुनर्विचार याचिकायें बुधवार को न्यायाधीशों के चैंबर में विचारार्थ सूचीबद्ध हैं।

शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके 27 जून और 22 जुलाई के दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायालय ने कहा था कि इन ट्वीट के लिये यह नहीं कहा जा सकता कि ये जनहित में न्यायपालिका के कामकाज की निष्पक्ष आलोचना थी।

शीर्ष अदालत ने बाद में 31 अगस्त को प्रशांत भूषण एक रुपए का सांकेतिक जुर्माना देने या तीन महीने की साधारण कैद और तीन साल के लिये किसी भी मामले में पेश होने से प्रतिबंधित करने की सजा सुनाई थी।

भूषण ने 12 सितंबर को जुर्माने की रकम न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा करा दी और एक अलग से याचिका दायर करके ऐसे मामले में अपील करने के अधिकार का मुद्दा उठाया था।

अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के माध्यम से मंगलवार को दायर आवेदन में भूषण ने कहा है कि उनकी 12 सितंबर की याचिका का उनकी पुनर्विचार याचिकाओं से सीधा संबंध है।

उन्होंने कहा है कि इस याचिका को शीघ्र सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने के बारे में 14 सितंबर को आवेदन करने के बावजूद यह मामला अभी तक सूचीबद्ध नहीं हुआ है जबकि पुनर्विचार याचिकायें 16 दिसंबर, 2020 को अचानक ही सूचीबद्ध हो गयी हैं।

आवेदन में कहा गया है कि यह न्याय के हित में होगा अगर शीर्ष अदालत उनकी अलग से दायर याचिका पर निर्णय के बाद वह पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर करे।

First Published on: December 16, 2020 12:21 PM
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