पंजाब में सड़कों से हटे किसान,बंद के दौरान क्या-क्या हुआ प्रभावित?

बंद के दौरान बस स्टैंड पर भी सन्नाटा पसरा रहा। कुछ यात्री बस स्टैंड पर आए लेकिन, जब उन्हें पता चला कि बसें नहीं चल रही हैं, तो वे वापस लौट गए। सुबह से बसें कम संख्या में खड़ी रहीं, जबकि सरकारी बसें डिपो में खड़ी रहीं।

पंजाब में किसानों ने चार बजे सड़कों पर लगाए धरने खत्म कर दिए हैं। किसानों के सड़कों से हटने के बाद यातायात नॉर्मल हो गया है। सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक पंजाब बंद का खासा असर पंजाब में रहा। बाजार बंद रहे। साथ ही रेलवे ट्रैक पर जगह-जगह किसान बैठे थे, जिसकी वजह से रेल सेवाएं भी बंद रहीं।

दरअसल, किसानों ने सोमवार को ‘पंजाब बंद’ का आह्वान किया था, जिसके चलते किसानों ने जालंधर-लुधियाना नेशनल हाईवे को ब्लॉक कर दिया था। उनका कहना है कि केवल इमरजेंसी सेवाएं चलेंगी। बंद के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा खुद सड़कों पर मौजूद रहीं।

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने अमृतसर में बताया कि आपातकालीन और अन्य आवश्यक सेवाओं के संचालन को जारी रखने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट जा रहे लोगों, नौकरी के लिए इंटरव्यू देने या फिर शादी समारोह में शामिल होने जा रहे लोगों को बंद के आह्वान के बीच छूट दी गई।

वहीं पुलिस कमिश्नर ने बताया कि उनकी टीम पूरी तरह से तैयार थी और रेलवे विभाग से भी संपर्क किया था। नेशनल हाईवे पर इमरजेंसी सेवाओं के लिए एक सर्विस लेन खोली गई थी, जिससे अगर किसी को आपातकालीन स्थिति में मदद की जरूरत होती है, तो उनके वालंटियर हाईवे पर तैनात रहे।

बंद के दौरान बस स्टैंड पर भी सन्नाटा पसरा रहा। कुछ यात्री बस स्टैंड पर आए लेकिन, जब उन्हें पता चला कि बसें नहीं चल रही हैं, तो वे वापस लौट गए। सुबह से बसें कम संख्या में खड़ी रहीं, जबकि सरकारी बसें डिपो में खड़ी रहीं।

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा ने सोमवार सुबह सात से चार बजे तक बंद का आह्वान किया था। किसान नेता सरवण सिंह पंढेर ने बताया कि उन्हें सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त था। दुकानें और व्यापारिक संस्थान बंद रहे और ट्रेन व बस सेवाएं प्रभावित रहीं। किसानों और अन्य संगठनों ने सब्जी और दूध सप्लाई भी बंद करने का निर्णय लिया था।

गौरतलब है कि किसान एमएसपी के अलावा, किसान कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

First Published on: December 30, 2024 6:05 PM
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