नई दिल्ली। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मिली सजा ए मौत की सजा को माफ किए जाने के एक मुफ्ती को दावे को खारिज कर दिया है। मंत्रायल के सूत्रों का कहना है कि यह खबर गलत है। दरअसल, सोमवार आधी रात में भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुसलियार के दफ्तर ने दावा किया था कि निमिषा को माफी मिल गई है। यानी उसे अब मौत की सजा नहीं दी जाएगी।
मुसलियार के दफ्तर ने दावा किया कि हालांकि इस बारे में अभी लिखित आदेश नहीं आया है। उनके इस दावे के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने माफी की बात से इनकार किया है। सूत्रों के मुताबिक यह अपर्याप्त जानकारी है। अभी तक कि स्थिति यह है कि निमिषा की फांसी की सजा स्थगित है और यह अब भी बरकरार है।
केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड की रहने वाली निमिषा प्रिया 38 वर्ष की है। वह पेशे से एक नर्स है। वर्ष 2008 में बेहतर रोजगार के लिए वह यमन गई और सना के एक सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में काम शुरू किया। 2011 में उसकी शादी टॉमी थॉमस से हुई और दोनों यमन में रहने लगे।
2014 में यमन में गृह युद्ध के कारण उनके पति और बेटी भारत लौट आए, लेकिन निमिषा वहीं रूक गई। 2015 में उसने यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ साझेदारी में अल अमन मेडिकल क्लिनिक शुरू किया, क्योंकि यमनी कानून में विदेशियों को स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है। लेकिन, यहीं से उसके बुरे दिन शुरू हो गए।
निमिषा के अनुसार तलाल ने उनके साथ धोखा किया। उसकी कमाई हड़प ली। पासपोर्ट जब्त कर लिया और उसका शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न किया। उसने जाली दस्तावेज बनाकर खुद को निमिषा का पति भी बताया। 2017 में अपने दस्तावेज वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को केटामाइन (बेहोशी का इंजेक्शन) दिया, ताकि वह बेहोश हो जाए। लेकिन डोज की अधिकता से तलाल की मौत हो गई।
घबराहट में निमिषा ने शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया और यमन-सऊदी सीमा पर भागने की कोशिश में पकड़ी गई। 2018 में यमनी अदालत में मुकदमा शुरू हुआ और 2020 में उसे शरिया कानून के तहत ‘किसास’ (प्रतिशोध) के आधार पर मौत की सजा सुनाई गई। 2023 में यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने सजा बरकरार रखी और दिसंबर 2024 में राष्ट्रपति राशद अल-अलिमी ने भी इस सजा को मंजूदी दे दी।