पाकिस्तान ने गुरुद्वारा कमेटी में खालिस्तान समर्थकों को दी एंट्री, विमान हाईजैकर का रिश्तेदार भी शामिल


पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में PSGPC में 13 सदस्यों को एंट्री दी है। इनमें रमेश सिंह अरोड़ा, तारा सिंह, ज्ञान सिंह चावला, सरवंत सिंह, सतवंत कौर, हरमीत सिंह, महेश सिंह, भागवत सिंह, साहिब सिंह और मामपाल सिंह शामिल हैं। 


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नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान एक बार फिर आमने सामने हैं। इस बार विवाद पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (PSGPC) के नए सदस्यों को लेकर है। दरअसल, पाकिस्तान सरकार ने PSGPC कमेटी में कई खालिस्तान समर्थकों को शामिल किया है। इसे लेकर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में PSGPC में 13 सदस्यों को एंट्री दी है। इनमें रमेश सिंह अरोड़ा, तारा सिंह, ज्ञान सिंह चावला, सरवंत सिंह, सतवंत कौर, हरमीत सिंह, महेश सिंह, भागवत सिंह, साहिब सिंह और मामपाल सिंह शामिल हैं।

भारत ने इन नामों पर जताई आपत्ति

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार की मुख्य आपत्ति रमेश सिंह अरोड़ा को लेकर है। वह मंजीत सिंह पिंका का बहनोई है। पिंका 1984 में श्रीनगर से लाहौर जा रहे विमान की हाईजैकिंग में वॉन्टेड है।

इसके अलावा तारा सिंह को लेकर भी आपत्ति दर्ज कराई गई है। तारा सिंह लखबीर सिंह रोडे का करीबी है। लखबीर सिंह प्रतिबंधित खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स (KLF) और इंटरनेशन सिख यूथ फेडरेशन का चीफ था। रोडे की पिछले साल पाकिस्तान में मौत हो गई थी। इसके अलावा महेश सिंह पर रोडे से नजदीकी का भी आरोप लगा था। इतना ही नई कमेटी के 13 सदस्यों में शामिल ज्ञान सिंह चावला और डॉ मीमपाल सिंह भी भारत विरोधी सोच के लिए जाने जाते हैं।

नियुक्ति पर पाकिस्तान में भी उठे सवाल

इस बीच, एक हिंदू-धर्मांतरित सिख ने इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये ‘पहली पीढ़ी के धर्मांतरित सिख’ हैं। अरोड़ा को पाकिस्तान में प्रतिष्ठित ‘सितारा-ए-इम्तियाज’ पुरस्कार भी मिला है।

PSGPC के सदस्यों ने बताया कि पिछले साल इन लोगों ने पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के सामने अपील दायर की थी कि धर्मांतरित सिखों की पहली पीढ़ी को PSGPC  का सदस्य बनाने और उन्हें किसी अन्य धार्मिक मामलों का प्रभार देने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। पीएसजीपीसी के एक अन्य सदस्य ने कहा कि जो लोग गुरु नानक देव जी द्वारा ननकाना साहिब में पहला उपदेश देने के बाद से सिख हैं, उन्हें किनारे कर दिया गया है।