दिल्ली उच्च न्यायालय में वंदे मातरम को राष्ट्रगान के समान दर्जा देने संबंधी जनहित याचिका दाखिल


दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के समान प्रचार के लिए नीति बनाए जाने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से अपना रुख बताने को कहा।


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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के समान प्रचार के लिए नीति बनाए जाने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से अपना रुख बताने को कहा।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों को अपने जवाब दाखिल करने का समय दिया।

अदालत ने याचिका पर राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से भी जवाब मांगा। याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है कि सभी विद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में प्रत्येक कामकाजी दिन ‘जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम’ बजाया जाए।

इस बीच, अदालत ने सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध किए जाने से भी पहले उसे दायर करने की बात प्रचारित करने पर याचिकाकर्ता के प्रति नाराजगी जताई और कहा कि इससे लगता है कि याचिका प्रचार के लिए दायर की गई है।

अदालत ने हालांकि इस बात पर गौर किया कि याचिकाकर्ता ने खेद व्यक्त किया है और उन्हें ऐसे काम दोबारा नहीं करने का निर्देश दिया गया है। उसने कहा कि वह मौजूदा जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी।

याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि ‘वंदे मातरम’ के सम्मान को लेकर कोई दिशा-निर्देश या नियम नहीं होने के कारण राष्ट्रगीत को ‘‘असभ्य तरीके’’ से गाया जा रहा है और फिल्मों एवं समारोहों में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।

उपाध्याय ने कहा कि इस गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 1950 में दिए गए बयान के मद्देनजर इसे ‘जन गण मन’ के बराबर ही सम्मान दिया जाना चाहिए।

इस मामले पर आगे की सुनवाई नौ नवंबर को होगी।