विमान में पेशाब मामला : आरोपी शंकर मिश्रा ने ‘अनियंत्रित यात्री’ टैग के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

अदालत ने तब डीजीसीए के वकील से एक सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष अपीलीय समिति के गठन को रखने के लिए कहा और मामले को 23 मार्च को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

नई दिल्ली। न्यूयॉर्क-दिल्ली एयर इंडिया के विमान में एक बुजुर्ग महिला सहयात्री के साथ पेशाब करने के आरोपी हवाई यात्री शंकर मिश्रा ने अपीलीय समिति के गठन की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। एक ‘अनियंत्रित यात्री’ के रूप में उनके पदनाम के खिलाफ अपील और उन पर चार महीने के लिए उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगा दिया। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल-न्यायाधीश पीठ ने इस मामले को उठाया, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के वकील ने कहा कि समिति पहले से ही मौजूद है।

अदालत ने तब डीजीसीए के वकील से एक सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष अपीलीय समिति के गठन को रखने के लिए कहा और मामले को 23 मार्च को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

मिश्रा, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने 7 जनवरी को बेंगलुरु से 70 वर्षीय एक महिला पर पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, जबकि पिछले नवंबर में एक उड़ान में नशे की हालत में उन्हें 31 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी की पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरज्योत सिंह भल्ला ने 1 लाख रुपये के मुचलके पर यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि मिश्रा ने जो कथित रूप से किया है, वह घृणित है, लेकिन अदालत कानून का पालन करने के लिए बाध्य है।

मिश्रा ने अपनी याचिका में जहां डीजीसीए, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया को प्रतिवादी बनाया गया है, दावा किया है कि 20 दिसंबर, 2022 को शिकायतकर्ता महिला ने एयरसेवा शिकायत पोर्टल पर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

आरोप के जवाब में एयर इंडिया ने एक आंतरिक जांच समिति की स्थापना की। समिति ने 18 जनवरी, 2023 को एक आदेश जारी कर उन्हें ‘अनियंत्रित यात्री’ के रूप में पहचाना और चार महीने के लिए उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगा दिया।

याचिका के अनुसार, अनियंत्रित यात्रियों को संभालने के लिए नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं (सीएआर) के पैरा 8.5 में प्रावधान है कि जो कोई भी जांच समिति के फैसले से नाखुश है, नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गठित अपीलीय समिति के समक्ष 60 दिनों के भीतर अपील दायर कर सकता है।

याचिका में कहा गया है, याचिकाकर्ता 18 जनवरी, 2023 के आदेश से व्यथित होकर उपरोक्त तथ्यात्मक और कानूनी दुर्बलताओं के आधार पर उक्त आदेश के खिलाफ अपील करना चाहता है और उसने 19 जनवरी को डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को ईमेल लिखा है। 20 फरवरी, 27 और 6 मार्च को हालांकि, इस रिट याचिका को दायर करने की तिथि के अनुसार ऐसी कोई समिति गठित नहीं की गई है।

याचिका में आगे कहा गया है कि यह कानून की एक स्थापित स्थिति है कि अपील का एक वैधानिक अधिकार एक निहित अधिकार है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अपीलीय समिति का गैर-गठबंधन उसके लिए उपलब्ध सभी उपायों को समाप्त करने के उसके अधिकार को समाप्त कर रहा है।

यह भी कहा गया है, “इस तरह, नागरिक उड्डयन मंत्रालय की निष्क्रियता सीधे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता के अधिकारों का हनन कर रही है।”

First Published on: March 15, 2023 10:05 PM
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