नई दिल्ली। कांग्रेस और शिव सेना सहित कुछ विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच, राज्यसभा की बैठक निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे के कारण सभापति एम वेंकैया नायडू अपना पारंपरिक समापन संबोधन भी नहीं दे सके।
आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाने के बाद सभापति नायडू ने जैसे ही शून्यकाल आरंभ कराया, कांग्रेस और शिव सेना सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने किसी घोटाले का उल्लेख करते हुए हंगामा आरंभ कर दिया।
सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि आज बजट सत्र का आखिरी दिन है और वह कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने जा रहे हैं, लिहाजा सदस्य व्यवधान ना डालें।
सभापति ने शून्यकाल के तहत तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन से उनका मुद्दा उठाने के लिए कहा। डेरेक ने सामाजिक सद्भाव के विषय से जुड़ा एक मुद्दा उठाया। हालांकि हंगामे के कारण उनकी बात नहीं सुनी जा सकी।
उनके बाद आसन की अनुमति से भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाया और सरकार से मांग की कि उनके खिलाफ हुए ‘‘जघन्य’’ अपराधों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन किया जाए।
इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था। कुछ सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारे लगा रहे थे। सभापति ने इन सदस्यों से कहा कि उनके आचरण से गलत संदेश जा रहा है।
उन्होंने सदस्यों से बार-बार आग्रह किया कि वे अपने-अपने स्थानों पर लौट जाएं, हंगामा ना करें और कार्यवाही को आगे बढ़ने दें।
सदन में हंगामा जारी रहने पर नाखुशी जाहिर करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘मैं इससे बहुत दुखी हूं।’’
उन्होंने अपना पारंपरिक समापन संबोधन भी नहीं दिया और सदन की कार्यवाही 11 बजकर 19 मिनट पर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।