SC ने सीएम उद्धव व पुत्र पर टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत के लिए हाई कोर्ट भेजा

पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय भी आपके मौलिक अधिकार बरकरार रख सकता है। वह मामला स्थानांतरित भी कर सकता है और आपको जमानत भी दे सकता है। फिर आप अनुच्छेद 32 के तहत याचिका के साथ यहां क्यों आ रहे हैं।’’

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे के बारे में कथित आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में गुजरात से गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत याचिका पर विचार करने से सोमवार को इंकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने आरोपी समीर ठक्कर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा कि वह बंबई उच्च न्यायालय जायें। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय भी उसके मौलिक अधिकारों की रक्षा कर सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय भी आपके मौलिक अधिकार बरकरार रख सकता है। वह मामला स्थानांतरित भी कर सकता है और आपको जमानत भी दे सकता है। फिर आप अनुच्छेद 32 के तहत याचिका के साथ यहां क्यों आ रहे हैं।’’

पीठ ने ठक्कर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा, ‘‘आप कृपया उच्च न्यायालय जायें।’’

जेठमलानी ने कहा कि ठक्कर को जमानती अपराध के लिये गिरफ्तार किया गया है और इससे आपको भी आघात पहुंचेगा। इस पर पीठ ने उन्हें उच्च न्यायालय जाने के लिये कहते हुये टिप्पणी की, ‘‘हम अब काफी आघात मुक्त हैं। हम रोजाना यह देख रहे हैं। हमें कुछ भी आघात नहीं पहुंचाता।’’

इस बीच, महाराष्ट्र के वकील ने कहा कि वह मजिस्ट्रेट की अदालत में उनकी जमानत का विरोध नहीं करेगा क्योंकि ठक्कर से हिरासत में पूछताछ हो चुकी है।

जेठमलानी ने कहा कि ठक्कर के खिलाफ सिर्फ उसके ट्वीट को लेकर तीन प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं और उसे 24 अक्टूबर को राजकोट से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे ट्रांजिट रिमांड पर नागपुर लाया गया और उसके ट्वीट के लिये पूछताछ की गयी। यही नहीं, उसकी हिरासत की अवधि भी बढ़ाई गयी।

जेठमलानी ने कहा, ‘‘उसकी गर्दन को रस्सी से बांधा गया था और सड़क पर उसकी परेड करायी गयी।’’

इस पर पीठ ने कहा कि ‘‘आपको क्या लगता है कि हम इस सबसे सहमत हैं। हम आपसे बार बार कह रहे हैं कि आप उच्च न्यायालय में यही दलीलें दें। हमें भी उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण का लाभ लेने दीजिये।’’

इसके बाद, जेठमलानी ने ठक्कर की याचिका वापस ले ली जिसने जमानत के साथ ही तीनों प्राथमिकी को एकसाथ करने का भी अनुरोध किया था।

ठक्कर, जिसे ट्विटर पर 59,000 लोग फॉलो करते हैं ओर सोशल मीडिया पर कुछ प्रमुख सरकारी पदाधिकारी भी उसे फॉलो करते हैं, को 24 अक्टूबर को इन पोस्ट के कारण राजकोट से गिरफ्तार किया गया था।

नागपुर की एक अदालत ने उसे जमानत दी थी लेकिन महाराष्ट्र पुलिस ने तुरंत ही एक अन्य प्राथमिकी के सिलसिले में उसे गिरफ्तार कर लिया था।

First Published on: November 16, 2020 4:32 PM
Exit mobile version