सिंघू बार्डर पर किसान का बेटा बांटता है किसानों के बीच मुफ्त गरम कपड़े

हर रोज सुबह करीब आठ बजे कुरैशी सड़क किनारे अपना स्टॉल लगाते हैं और वह स्थानीय रूप से निर्मित गरम कपड़े नये कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर डेरा डाले किसानों को मुफ्त में देते हैं।

नई दिल्ली । ऐसा नहीं है कि हर चीज कीमत चुकाने पर ही मिले, यहां सिंघू बार्डर पर शकील मोहम्मद कुरैशी कड़कड़ाती ठंड में धरने पर बैठे किसानों के प्रति सम्मान का इज़हार ही नहीं कर रहे हैं बल्कि वह उन्हें मुफ्त स्वेटर एवं जैकेट भी बांट रहे है।

हर रोज सुबह करीब आठ बजे कुरैशी सड़क किनारे अपना स्टॉल लगाते हैं और वह स्थानीय रूप से निर्मित गरम कपड़े नये कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर डेरा डाले किसानों को मुफ्त में देते हैं।

कुरैशी किसानों के बीच 300 जैकेट एवं स्वेटर बांट चुके है। वैसे वह सर्दी के कपड़े बेचकर रोज करीब 2500 रूपये कमा लेते थे। उनके पिता उत्तर प्रदेश के बागपत में किसान हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता भी किसान हैं, इसलिए मैं जानता हूं कि उनकी जिंदगी बहुत कठिन होती है। किसान अपनी ऊपज के लिए उचित दाम से ज्यादा कुछ तो सरकार से मांगते नहीं हैं।’’

उत्तरी दिल्ली के नरेला में अपनी पत्नी एवं बच्चों के साथ रहने वाले कुरैशी ने इन गरम कपड़ों के दाम के बारे में कुछ कहने से इनकार किया और बस इतना कहा, ‘‘ यह नेक काम के प्रति मेरा योगदान है।’’

बार्डर पर डेरा डाले प्रदर्शनकारी किसानों के लिए विभिन्न वर्गों से मदद पहुंच रही है। कुछ व्यक्ति और एनजीओ लंगर आयोजित कर रहे हैं तो कुछ दैनिक जरूरत की चीजें बांट रहे है। कुछ ने मेडिकल कैंप लगा रखे हैं। कई लोग तो बर्तन धो देते हैं तो कुछ कूड़ा इकट्ठा करते हैं।

किसान नये कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

अपना खुद का स्टोर खोलने की आशा रखने वाले कुरैशी का कहना है कि वैसे तो ज्यादातर किसान तैयार होकर आये हैं जबकि कुछ को मदद की जरूरत है।

इस स्टॉल से मुफ्त जैकेट लेने वाले जब एक किसान ने कुरैशी से कहा, ईश्वर तुम्हें अच्छी तकदीर देगा, भले ही तुम्हारी छोटी दुकान है, लेकिन तुम्हारा दिल बड़ा है।’’ इस पर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

First Published on: December 11, 2020 12:11 PM
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