नई दिल्ली। भारतीय सीमा के पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के घुसपैठ के बाद देनों देशों के बीच बनी तनावपूर्ण स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है और चीन के रवैये को देखते हुए आगे की डगर की डगर भी आसान नहीं दिख रही है।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि- पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) लद्दाख में अपने दुस्साहस को लेकर भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणाम का सामना कर रही है।
रावत ने कहा, ‘‘हमारा रुख स्पष्ट है कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।
रावत ने कहा कि सीमा पर झड़पों और बिना उकसावे के सैन्य कारवाई के बड़े संघर्ष में तबदील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली ठंड में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं। छह महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।
अधिकारियों के अनुसार चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं। भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है।
रावत ने साथ ही कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के लगातार छद्म युद्ध और भारत के खिलाफ दुष्ट बयानबाजी के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं।
जरनल रावत ने एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि – सीमा पर झड़पों, अतिक्रमण और बिना उकसावे की सामरिक सैन्य कार्रवाइयों के बड़े संघर्षों में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
जनरल रावत ने पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के मामले पर भी बात की और बताया कि भारतीय सशस्त्र बल इससे किस प्रकार निपट रहे हैं। परमाणु हथियारों से सम्पन्न पड़ोसियों (पाकिस्तान एवं चीन) के साथ ‘‘लगातार टकराव’’ के कारण क्षेत्रीय सामरिक अस्थिरता पैदा होने और उसके बढ़ने का खतरा है।
जनरल रावत ने कहा कि भारत ने जिन दो देशों के साथ युद्ध लड़ा है, वे मिलकर काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के ‘‘लगातार छद्म युद्ध’’ और भारत के खिलाफ ‘‘दुष्ट’’ बयानबाजी के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं।
जनरल रावत ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की ओर आयोजित सम्मेलन में कहा कि उरी हमले और बालाकोट में हवाई हमलों के बाद सर्जिकल हमलों ने कड़ा संदेश दिया है कि पाकिस्तान अब नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों को भेजने के बाद बच नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के भारत के नए तरीके के कारण पाकिस्तान में अस्पष्टता और अनिश्चितता पैदा हो गई है। भारत आतंकवाद का सख्ती से सामना करेगा।
जनरल रावत ने कहा कि – आंतरिक समस्याओं, अर्थव्यवस्था के ढहने, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने और आम नागरिकों एवं सेना के बीच खराब संबंधों के बावजूद पाकिस्तान लगातार यह दिखाता रहेगा कि कश्मीर उसका ‘‘अधूरा एजेंडा’’ है। पाकिस्तान की सेना युद्ध लड़ने की अपनी क्षमताओं को बरकरार रखने के लिए धन की आवश्यकता को सही ठहराने के लिए भारत से अपने अस्तित्व को खतरे का हौआ दिखाती रहेगी।
चीन की बढ़ सकती है हिमाकत
देश के कुछ रक्षा जानकारों का कहना है कि अमेरिका में यदि जो बाइडन चुनाव जीतते हैं तो भारत और अमेरिका के रिस्तों में रक्षा से जुड़े मुद्दों पर जिस प्रकार ट्रंप भारत का खुल कर समर्थन कर रहे थे उस प्रकार से मिलने की उम्मीद कम है। ऐसी स्थिति में चीन की सीमा पर हिमाकत बढ़ सकती है और चीन की इस आक्रामकता के कारण भारत-चीन सीमा पर स्थिति अनियंत्रित भी हो सकती है।