नई दिल्ली। 22 मार्च 2020 की सुबह, लोगों को शायद इसका अंदाजा नहीं था कि जब उनकी नींद खुलेगी तो चारों तरफ सन्नाटा होगा। न गाड़ियों के हॉर्न की आवाज और न ही सड़क पर लोगों की पहले की तरह चहल-पहल। ये वो तारीख थी जब देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश में पहली बार जनता कर्फ्यू लगाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से जनता कर्फ्यू को सफल बनाने का आह्वान किया था। देश की जनता ने भी पीएम की भावनाओं की प्रतिष्ठा रखी। ये वो दिन था जब देश की जनता ने खुद अपने पर कर्फ्यू लागू किया था।
देश में बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को 14 घंटों के लिए जनता कर्फ्यू लगाया। इसके दो दिन बाद ही पूरे देश में 21 दिनों के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की। ये एक आपातकाल जैसे हालात से निपटने के लिए किया गया था। पीएम ने अपने सम्बोधन में कहा था ‘ हिन्दुस्तान को बचाने के लिए, हिन्दुस्तान के हर नागरिक को बचाने के लिए, आपको बचाने के लिए, आपके परिवार को बचाने के लिए लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पूरिम तरह से पाबंदी लगाई जा रहे है।’
On 22nd March 2020, let us observe a Janata Curfew and add strength to the fight against COVID-19. #IndiaFightsCorona. pic.twitter.com/qOqhQaJES5
— Narendra Modi (@narendramodi) March 19, 2020
आज फिर देश में जिस तरह से कोरोना के मामले तेजी से फ़ैल रहे हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि कहीं दोबारा से जनता कर्फ्यू या फिर सम्पूर्ण लॉकडाउन न लग जाए क्योंकि हालात जिस तरह से बिगड़ रहे हैं, देश के कई राज्यों ने नाईट कर्फ्यू या फिर सप्ताह में एक या दो दिन का लॉकडाउन लागू कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के जिन शहरों में कोरोना के मामलों में तेजी आई, राज्य सरकार ने वहां लॉकडाउन लगा दिया।
कोरोना को लेकर सरकार ने काफी गाइडलाइन्स जारी है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि लोग उन दिशा-निर्देशों का अशी तरीके पालन नहीं कर रहे हैं। मौजूदा समय में भी दिल्ली, मुंबई सहित देश के कई बड़े शहरों में कोरोना के लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं। कइयों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन आने के बाद लोग कुछ ज्यादा ही बेफिक्र हो गए हैं। उन्हें शायद लगता है कि वैक्सीन आ जाने से कोरोना चला गया है।
सरकार लगातार लोगों को आगाह कर रही है कि कोरोना वायरस अभी गया नहीं है, लेकिन शायद जनता पर इसका प्रभाव नहीं पड़ रहा है। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी राज्य सभा से ये अपील कर चुके हैं कि लोग कोरोना वायरस को लेकर गंभीरता बरतें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते दिनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वार्ता के दौरान कह चुके हैं कि कई राज्यों में कोरोना के मामले आ रहे है, इसको लेकर राज्य सरकार उचित कदम उठाए और जरूरी हो तो सख्ती भी बरते।
प्रधानमंत्री का राज्य सरकारों के कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सख्ती बरतने की बात को काफी गंभीर बताया जा रहा है। इसी के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने कड़े निर्णय भी लिए। ऐसे जिस तरह से देश में कोरोना की रफ़्तार बेकाबू होती दिखाई दे रही है, माना जा रहा है जनता कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसे सख्त निर्णय दोबारा लिए जा सकते हैं।
साल 2020 का कोरोना काल दुनिया के लिए एक भयावह स्वरुप रहा जिससे न सिर्फ जान-माल को काफी नुकसान हुआ बल्कि विश्व की ही अर्थव्यवस्था एक तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। आज भी लोग उसे एक बुरे सपने की तरह देखते हैं और सोचते हैं कि किस तरह से उन्होंने इस परिस्थिति का सामना किया। आबादी की दृष्टि से दुनिया का दूसरा बड़ा देश भारत भी कोरोना से अछूता नहीं रह पाया। इस वायरस की मार सबसे अधिक माध्यम और गरीब वर्ग के लोगों ने सही।