1. धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के
क्योंकि संकल्प हमारे मनों के
इस समय ज़रा अलग हैं
हम धूलिकणों के बने हुये
रसाल-फलों में
बदल रहे हैं अपने-अपने
छोटे-बड़े सपने
धीरज रखना
भाई नीले आसमान।
2.अब क्या होगा इसे सोच कर, जी भारी करने मे क्या है,
जब वे चले गए हैं ओ मन, तब आँखें भरने मे क्या है ।
जो होना था हुआ, अन्यथा करना सहज नहीं हो सकता,
पहली बातें नहीं रहीं, तब रो रो कर मरने मे क्या है?
सूरज चला गया यदि बादल लाल लाल होते हैं तो क्या,
लाई रात अंधेरा, किरनें यदि तारे बोते हैं तो क्या,
वृक्ष उखाड़ चुकी है आंधी, ये घनश्याम जलद अब जायें,
मानी ने मुहं फेर लिया है, हम पानी खोते हैं तो क्या?
उसे मान प्यारा है, मेरा स्नेह मुझे प्यारा लगता है,
माना मैनें, उस बिन मुझको जग सूना सारा लगता है,
उसे मनाऊं कैसे, क्योंकर, प्रेम मनाने क्यों जाएगा?
उसे मनाने में तो मेरा प्रेम मुझे हारा लगता है।
फिर कोई बिजली मत गिरा देना बिना घनों के।