मरियम नवाज और बिलावल भुट्टो से प्रेरणा ले भारत का विपक्ष

राहुल गांधी, मरियम नवाज और बिलावल भुट्टो राजनीति के एक ही स्कूल से संबंधित है। यह स्कूल लोकतंत्र में वंशवाद स्कूल है, जो भारतीय उपमहादीप में लंबे समय से है। राहुल गांधी भारत में नेहरू गांधी परिवार की परंपरा को भारतीय राजनीति में आगे बढ़ा रहे है। बिलावल भुट्टो और मरियम वशंवादी राजनीति को पाकिस्तानी लोकतंत्र में आगे बढ़ा रही है।

पाकिस्तान में जनहित के मुद्दों पर इस समय तमाम विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं। उनके निशाने पर इमरान खान सरकार और पाकिस्तान की सेना है। पाकिस्तान के 11 प्रमुख राजनीतिक दल इस समय पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट बनाकर पाकिस्तान की जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं। इस एलांयस में नवाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी दोनों की पार्टी शामिल है। बीते दिनों पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट की बड़ी रैली पेशावर हुई है। रैली में भारी तादात में लोग शामिल हुए।

पेशावर रैली में विपक्षी दलों का प्रमुख मुद्दा भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी औऱ भुखमरी था। पेशावर से पहले पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट में शामिल दलों ने गुजरांवाला, कराची और क्वेटा में बड़ी रैली की थी। रैली में आयी भीड़ से सताधारी इमरान खान परेशान है। सेना भी इस बार विपक्षी दलों के निशाने पर है। परेशान सेना ने विपक्षी दलो के नेता को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।

लेकिन इस समय भारत में विपक्षी दल किधर हैं? बिहार चुनाव के बाद विपक्षी दलों के नेता फिर गायब हो गए हैं। बिहार में हार की समीक्षा भी नहीं की गई है। आखिर जीती हुई बाजी बिहार में विपक्ष कैसे हार गया, इसकी समीक्षा तो बनती है? जनता ने बिहार में जमकर विपक्षी दलों को वोट दिया। खराब चुनावी प्रबंधन ने विपक्षी दलों को हरा दिया। उधर जनता कहती है कि वे सरकार के कामकाज से नाराज जरूर है। सरकार उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। बेरोजगारी देश में भयंकर रूप से बढ़ रही है। भुखमरी भी बढ़ी है। कोरोना के कारण करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। भुखमरी के शिकार हो रहे है। महंगाई तो आसमान छू रही है। आलू पचास रूपये तक मिल रहा है। प्याज अस्सी रूपए तक मिल रहा है।

जनता मानती है कि नरेंद्र मोदी की सरकार इन तमाम मुद्दों पर बुरी तरह से फेल हो गई है। इसके बाद फिर जनता कहती है कि आखिर नरेंद्र मोदी का विकल्प कहां है? कम से कम राहुल गांधी तो मोदी के विकल्प नहीं हो सकते है? आखिर जनता का यह संशय राहुल गांधी या उनके सहयोगी विपक्षी दल दूर करने में विफल क्यों है? तमाम मुद्दों के बावजूद भारत के प्रमुख विपक्षी दल जमीन पर जनता से कनेक्ट क्यों नहीं हो पा रहे है? एनडीए विरोधी क्षेत्रीय दल कहां है ?

इस समय विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या ड्राइंग रूम पॉलिटिक्स है। विपक्षी दलों पर फेसबुक, टिवटर और व्हाटसएप ने काफी मेहरबानी कर दी है। जनता से इन्हीं माध्यमों से विपक्ष कनेक्ट होता है। सच्चाई तो यही है कि राहुल गांधी भी टिवटर पर ही सक्रिय रहते है। लेकिन राहुल गांधी को यह समझना होगा कि देश में ग्रामीण इलाकों में कितने लोग उनसे टिवटर जैसे माध्यम से कनेक्ट होंगे?

पिछले छ सालों में राहुल गांधी जनता से संवाद में विफल रहे है। जनता को छोड़िए राहुल अपने कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित नहीं कर सके है। राहुल जनता के मुद्दों पर सीधे संवाद के बजाए जनता से टिवटर पर संवाद करते है। मुददों को लेकर वे टिवटर का बेहतर इस्तेमाल करते जरूर नजर आए है। कभी-कभी राहुल गांधी जरूर जनता के सामने आए। लेकिन प्रकट होने के बाद फिर गायब हो गए। पिछले कुछ सालों से लगातार यही सिलसिला है।

बीते दिनों पंजाब में राहुल गांधी तीन दिनों के लिए प्रकट हुए। नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों से संबंधित तीन बिल को मंजूरी दी थी। इसका विरोध करने के लिए वे पंजाब पहुंचे। ट्रैक्टर रैली निकाली। पंजाब की तरह दूसरे राज्यों के किसानों से भी उन्हें कनेक्ट होना चाहिए था। लेकिन नहीं हो पाए। हाथरस कांड के बाद राहुल गांधी जनता के बीच नजर आए। उसके बाद फिर वे गायब हो गए। बिहार विधानसभा चुनाव की रैलियों में वे नजर आए। अब फिर गायब है। राहुल गांधी का मौसमी अवतरण जबरदस्त होता है। राहुल गांधी के पदचिन्हों पर दूसरे क्षेत्रीए दल भी चल रहे है। इस समय जनता समस्या से जूझ रही है। सारे दल एकजुट होकर जनता से संवाद करते तो विपक्ष को भारी मजबूती मिलती।

राहुल गांधी, मरियम नवाज और बिलावल भुट्टो राजनीति के एक ही स्कूल से संबंधित है। यह स्कूल लोकतंत्र में वंशवाद स्कूल है, जो भारतीय उपमहादीप में लंबे समय से है। लोकतांत्रिक वंशवादी स्कूल वैसे भारत में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद ही शुरू हुआ। राहुल गांधी भारत में नेहरू गांधी परिवार की परंपरा को भारतीय राजनीति में आगे बढ़ा रहे है। बिलावल भुट्टो जुल्फिकार अली भुट्टो परिवार की वंशवादी परंपरा को पाकिस्तानी लोकतंत्र में आगे बढ़ा रहे है। मरियम नवाज नवाज शरीफ परिवार की वशंवादी राजनीति को पाकिस्तानी लोकतंत्र में आगे बढ़ा रही है।

दिलचस्प बात है कि बिलावल, मरियम और राहुल का लालन-पालन कुलीन माहौल में हुआ है। इन तीनों ने शिक्षा भी कुलीन माहौल में हासिल की है। लेकिन राजनीति के मैदान में राहुल मरियम और बिलावल से अलग खेलते हुए नजर आते है। राहुल को वर्तमान में बहुत अच्छा खेल का मैदान मिला हुआ है। लेकिन इस खेल के मैदान में वे मरियम नवाज और बिलावल भुट्टों की तरह संघर्ष करते नजर नहीं आ रहे है। हालांकि राहुल गांधी भारत के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सर्वेसर्वा है। कांग्रेस का एक गरिमामय इतिहास है।

कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी की सरकार का दबाव राहुल गांधी पर नजर आता है। यह दबाव सरकारी एजेंसियों का भी हो सकता है। सरकारी एजेंसियों का भय अकेले राहुल गांधी ही नहीं, बल्कि पूरी कांग्रेस पर दिखता है। कई क्षेत्रीए दल भी सरकारी एजेंसियों के दबाव में है। जबकि बिलावल भुट्टों और मरियम नवाज पाकिस्तान में सरकारी एजेंसियों के दबाव के बावजूद इमरान खान की सरकार को चुनौती दे रहे है। जनता के विभिन्न मुद्दों पर वे सरकार को घेर रही है। महंगाई, भूखमरी, करोना, बेरोजगारी को उन्होंने मुद्दा बनाया है। दोनों लीडर जनता के बीच जा रहे है।

First Published on: November 26, 2020 11:31 AM
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