“बाजारवाद का उपक्रम है ओटीटी”-अनंत विजय


कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राजेश गिरि ने कहा कि भाषा और साहित्य ही हमें पुरानी स्मृतियों और हमारी परंपराओं से जोड़ती है। अतः भाषा और साहित्य का सवाल हमारे दौर के महत्वपूर्ण सवालों में एक है। नई शिक्षा नीति ने सभी भारतीय भाषाओं में ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया है।


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दिल्ली Updated On :

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में हिंदी साहित्य परिषद द्वारा अयोजित ‘व्याख्यान’ और ‘अभिव्यक्ति प्रतियोगिता’ की तीन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम के पहले दिन व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में श्री अनंत विजय और प्रोफेसर सुधीर प्रताप सिंह उपस्थित रहे। उद्घाटन वक्तव्य देते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राजेश गिरि ने कहा कि भाषा और साहित्य ही हमें पुरानी स्मृतियों और हमारी परंपराओं से जोड़ती है। अतः भाषा और साहित्य का सवाल हमारे दौर के महत्वपूर्ण सवालों में एक है। नई शिक्षा नीति ने सभी भारतीय भाषाओं में ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया है।

भारतीय भाषा केंद्र, जेएनयू के अध्यक्ष प्रो. सुधीर प्रताप ने अपने वक्तव्य में कहा कि समकालीनता व्यापक अवधारणा है। जिसे कई अवधारणाओं के साथ रखकर ही समझा जा सकता है। इन्होंने समकालीन हिंदी कविता के अंतर्गत समकालीनता को आधुनिकता, तत्कालीनता एवं प्रासंगिकता के परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करते हुए, इनसे समकालीनता के अलगाव के बिंदुओं को रेखांकित किया। उन्होंने समकालीन हिंदी कविता को दलित, स्त्री और बाजारवाद जैसे अनेक विषयों से जोड़कर अपनी बात रखी।

दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने बताया कि ओटीटी बाजार आज 40,000 करोड़ से भी अधिक का हो गया है। आज यह बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर प्रदान कर रहा है। कोई नियमन न होने के कारण यह प्लेटफार्म स्वतंत्र नहीं बल्कि स्वच्छंद होता जा रहा है। इसमें हिंसा, नग्नता एवं यौनिकता द्वारा मुनाफा कमाने की होड़ लगी हुई है। इस तरह के दृश्य और विचार परोसे जा रहे हैं जो कि वर्तमान समाज के लिए नुकसानदेह है। इसके नियमन के लिए मजबूत नियामक संस्था की आवश्यकता है।

इस अवसर पर 100 से अधिक विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति रही। मंच का संचालन हिंदी साहित्य परिषद के संयोजक डॉ. सत्य प्रकाश सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समापन हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. महेंद्र सिंह के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा हुआ।



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