यह तो जानी-मानी बात है कि व्हेल दीर्घायु स्तनधारी हैं। कई प्रजातियां तो 100 वर्ष से अधिक भी जी सकती हैं। व्हेल की उम्र का अंदाज़ा लगाने के लिए वैज्ञानिक कई तरीके अपनाते हैं; जैसे उनके कान के मैल की परतें गिनना जो पेड़ के छल्लों की तरह साल दर साल जमा होती हैं, या आंखों के प्रोटीन में एक निश्चित दर से होने वाले रासायनिक परिवर्तन को नापना, या उनके त्वचा के नीचे की वसा में शिकारी भालों के निशान गिनकर।
इन तकनीकों से विश्लेषण के लिए अक्सर तुरंत मृत व्हेलों के नमूने चाहिए होते हैं, जो मिलना मुश्किल है। फिर, शिकारी गतिविधियों के चलते वृद्ध व्हेल भी मिलना मुश्किल है क्योंकि अब अधिकांश युवा व्हेल ही जीवित बची हैं। इसी कारण व्हेल की सटीक आयु बता पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन वैज्ञानिक भी इन मुश्किलों के सामने हाथ-पर-हाथ धरे बैठे नहीं रहते, वे हल खोजते रहते हैं। अब, उन्होंने व्हेल की उम्र की गणना का एक बेहतर तरीका खोजा है जो साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक के इकॉलॉजिस्ट ग्रेग ब्रीड और उनके साथियों ने मृत व्हेल के नमूनों की बजाय राइट व्हेल की दो प्रजातियों-उत्तरी अटलांटिक राइटव्हेल (Eubalaena glacialis) और दक्षिणी राइट व्हेल (Eubalaena australis) पर अध्ययन किया, जिनका अंधाधुंध शिकार किया गया है। उन्होंने इन दो व्हेल प्रजातियों की 1970 से अब तक की तस्वीरों को खंगाला और उनका बारीकी से अवलोकन किया।
इसकी मदद से शोधकर्ता प्रत्येक व्हेल को पहचान सकते थे और यह बता सकते थे कि कौन सी व्हेल कब (संभवत: मृत्यु के कारण) आबादी से गायब हो गई। व्हेल के गायब होने के समय के आंकड़ों को उन्होंने विभिन्न सांख्यिकीय मॉडल्स में डाला जो यह बता सकते थे कि कितने प्रतिशत आबादी किस-किस उम्र तक जीवित रहेगी।
सबसे उपयुक्त परिणाम उस मॉडल से मिले जो बीमा कंपनियां मनुष्यों की मृत्यु दर का पूर्वानुमान लगाने और उसके अनुसार प्रीमियम दरें तय करने के लिए करती हैं। परिणाम के अनुसार दक्षिणी राइट व्हेल का औसत जीवनकाल लगभग 73 साल है, लेकिन 10 प्रतिशत 132 साल से भी अधिक आयु तक जीवित रह सकती हैं। जबकि, पूर्व अध्ययनों का कहना था कि इस व्हेल का जीवनकाल अधिकतम 70 से 80 साल है।
उत्तरी अटलांटिक राइट व्हेल के बारे में मॉडल का विश्लेषण है कि इनका औसत जीवनकाल करीब 22 वर्ष है लेकिन 10 प्रतिशत 47 वर्ष से अधिक आयु तक जी सकती हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि काफी सारी व्हेल कुदरती रूप से नहीं बल्कि जहाज़ों से टकराकर और मत्स्याखेट उपकरणों में उलझकर मरती हैं। साथ ही, पूर्व में हुए अंधाधुंध शिकार से ये उबर नहीं पाई हैं और विलुप्ति की कगार पर हैं। इनके अधिक असुरक्षित होने का एक कारण यह भी है कि वे मानव आबादी वाले तटीय क्षेत्रों में रहती हैं।
हालांकि दीर्घायु के मामले में बोहेड व्हेल (Balaena mysticetus) अब भी आगे हैं- वे 200 साल से अधिक जीवित रहती हैं। वैज्ञानिकों का मानना था कि बोहेड व्हेल इतने लंबे समय तक इसलिए जीवित रहती हैं क्योंकि वे सुस्त होती हैं-वे धीरे-धीरे तैरती हैं, धीरे-धीरे परिपक्व होती हैं और उनका चयापचय धीमा होता है। लेकिन राइट व्हेल तुलनात्मक रूप से फुर्तीली होती हैं, इनकी चयापचय गति अन्य स्तनधारियों की तरह ही होती है, इसलिए यहां एक सवाल उभरता है कि वे इतना लंबा कैसे जीवित रहती हैं?
बहरहाल, व्हेल की नैसर्गिक उम्र चाहे जितनी लंबी रहे लेकिन जब तक उन पर शिकार और मानव गतिविधियों का खतरा मंडराता रहेगा उनका चिरंजीवी होना मुश्किल है।