मुश्किल दौर से गुजर रहा है देश :सेना प्रमुख


यह देश के लिए मुश्किल वक्त है। देश की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा सैन्य नेताओं के तौर पर आपकी क्षमताओं पर निर्भर करती है। आपको अपने देशवासियों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप जो भी करें, देशवासियों के कल्याण के लिए हो।


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देहरादून। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इसकी सुरक्षा तथा सम्मान सैन्य नेताओं के तौर पर इसके युवा अधिकारियों की क्षमता पर निर्भर करती है।

यहां भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड के निरीक्षण अधिकारी के तौर पर कैडेट को संबोधित करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि युवाओं को अत्यंत चुनौतीपूर्ण हालात के दौर में सेना में अधिकारियों के रूप में शामिल किया जा रहा है और उनके सैन्य प्रशिक्षण के उच्च मानक उन्हें चुनौतियों से उबरने में मदद करेंगे। परेड में कुल 423 कैडेट को सेना में शामिल किया गया जिनमें 333 भारत के और 90 मित्र देशों से हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के लिए मुश्किल वक्त है। देश की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा सैन्य नेताओं के तौर पर आपकी क्षमताओं पर निर्भर करती है। आपको अपने देशवासियों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप जो भी करें, देशवासियों के कल्याण के लिए हो।’’

सेना प्रमुख ने कहा कि कोई अच्छी या बुरी रेजीमेंट नहीं होती, बस केवल अच्छे अधिकारी होते हैं। अपने जवानों के साथ ऐसा ही अधिकारी बनिए। उनका विश्वास और स्नेह हासिल करिए और वे आपके लिए लड़ाई जीतेंगे।

उन्होंने कैडेट से जज्बे के साथ सैन्य अधिकारियों के रूप में नयी भूमिका स्वीकार करने और साथ ही करुणा भी रखने का आह्वान किया।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जब चीजें मुश्किल हो जाती हैं और सब खोते हुए दिखता है, तो आपके जवानों की भावना ही आपको जिताने में मददगार होती है। अधिकारी के रूप में सेना में पहला कदम रख रहे जेंटिलमैन कैडेट को रणनीतिक और अभियान संबंधी फैसले लेने होंगे और नैतिकता से जुड़े मुद्दों का समाधान भी करना होगा और वे केवल अपने विवेक से दिशानिर्देश हासिल कर सकेंगे।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ऐसे चुनौतीपूर्ण क्षणों में भारत के संविधान की प्रस्तावना में अंकित मूल्यों को अपना मार्गदर्शक बनाएं।  युवा अधिकारी जाति, वर्ण और धर्म के तुच्छ विचारों से ऊपर उठकर काम करें। सेना भेदभाव नहीं करती।’’

जनरल नरवणे ने कहा कि बाहरी खतरों के साथ ही आपको देश को अस्थिर करने वाली आंतरिक ताकतों का भी सामना करना पड़ सकता है। कैडेट के अत्यंत गहन अभ्यासों ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे अपने-अपने देशों को गौरवान्वित करेंगे।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘आपके कॅरियर के आखिर में अंतत: आपका पद नहीं बल्कि यह मायने रखेगा कि आपने कितने सम्मान से अपने देश की सेवा की है। कैडेट के अभिभावकों को दिये संदेश में सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘कल तक वे आपके बच्चे थे, लेकिन कल से हमारे होंगे।’’