
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री सुवेन्दु अधिकारी ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
अधिकारी नंदीग्राम आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे,और यह आंदोलन पार्टी नेता ममता बनर्जी को 2011 में सत्ता में लाने का एक अहम कारक बना था। पार्टी नेतृत्व से अनबन के बाद अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा फैक्स के जरिए भेजा और उसे राज्यपाल जगदीप धनखड को भी ईमेल कर दिया।
अधिकारी ने अपने इस्तीफे में लिखा,‘‘ मैं मंत्री के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार किए जाने के संबंध में कदम उठाए जाने चाहिए। मैं साथ ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को भी इसे ईमेल कर रहा हूं और उनसे आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध करता हूं।’’ उन्होंने कहा,‘‘राज्य की जनता की सेवा करने का मौका देने के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूं, इसे मैंने पूरी प्रतिबद्वता, लगन और ईमानदारी के साथ किया।’’
अधिकारी ने इसके साथ ही हल्दिया विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया। बुधवार को उन्होंने हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर्स के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था।
राज्यपाल ने ट्वीट किया,‘‘ आज 1:05 बजे मंत्री सुवेन्दु अधिकारी का इस्तीफा,जिसे मुख्यमंत्री को संबोधित किया गया था, मुझे भेजा गया। मुद्दे को संवैधानिक दृष्टिकोण से हल किया जाएगा।’’
Today at 1:05 pm a resignation letter of Mr. Suvendu Adhikari from office as minister addressed to Hon’ble Chief Minister has been forwarded to me.
The issue will be addressed from constitutional perspective. pic.twitter.com/cxjF68uomH— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) November 27, 2020
भाजपा ने कहा कि यह इस्तीफा तृणमूल नेताओं का पार्टी नेतृत्व के प्रति गुस्सा दर्शाता है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अधिकारी के पार्टी में शामिल होने की अटकलों पर कुछ भी कहने से इनकर किया।
वहीं राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि अधिकारी का इस्तीफा ‘‘तृणमूल के अंत’’ का इशारा करता है।
उन्होंने संवादताओं से कहा,‘‘ सुवेन्दु का तृणमूल से निकलना वक्त की बात है। सत्तारूढ़ पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो पार्टी के कामकाज के तरीके से नाखुश हैं। हमारे दरवाजे खुले हैं।’’
अधिकारी पिछले कई माह से कैबिनेट की बैठकों में शामिल नहीं हो रहे थे और सांसद सौगत राय और सुदीप बंदोपाध्याय को उनसे बात करने और मामले को हल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
अधिकारी लगातार राज्य का दौरा कर रहे थे और समर्थकों की रैलियों में शामिल हो रहे थे लेकिन वह यह सब पार्टी के बैनर से दूर रह कर रहे थे,जो पार्टी के लिए आम बात नहीं है।
राय ने इस घटनाक्रम पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अधिकारी पार्टी में बने रहेंगे क्योंकि उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है और न हीं विधायक पद से।
राय ने कहा,‘‘हम उनसे बात करेंगे।’’