महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस, राज ठाकरे की सुरक्षा घटाई


फडणवीस को अब ‘जेड-प्लस’ श्रेणी के बजाए ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस श्रेणी’ की सुरक्षा मिलेगी। वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक को अब ‘वाई-प्लस’ के बजाए ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी। मनसे प्रमुख की सुरक्षा ‘जेड’ श्रेणी से घटा कर ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई प्लस’ श्रेणी की कर दी गई है।


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महाराष्ट्र Updated On :

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस और उनके परिवार, उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे की सुरक्षा घटा दी है, वहीं भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल की सुरक्षा वापस ले ली है।

राज्य भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने इसे ‘‘बदले की राजनीति’’ करार दिया, वहीं फडणवीस ने कहा कि इससे यात्रा करने और लोगों से मिलने की उनकी योजना पर असर नहीं पड़ेगा।

आठ जनवरी को जारी सरकारी अधिसूचना के अनुसार फडणवीस को अब ‘जेड-प्लस’ श्रेणी के बजाए ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस श्रेणी’ की सुरक्षा मिलेगी। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी अमृता फडणवीस और बेटी दिविजा की सुरक्षा ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस’ श्रेणी से घटा कर ‘एक्स’ श्रेणी कर दी गई है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक को अब ‘वाई-प्लस’ के बजाए ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी। मनसे प्रमुख की सुरक्षा ‘जेड’ श्रेणी से घटा कर ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई प्लस’ श्रेणी की कर दी गई है।

भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल और पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार की सुरक्षा वापस ले लिए गई है। राणे के पास ‘वाई-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा थी।

इसके अलावा राज्य लोकायुक्त एम एल टाहिलियानी की सुरक्षा ‘जेड’ श्रेणी से घटाकर ‘वाई’ श्रेणी की कर दी गई है। अधिसूचना के अनुसार सरकार ने दो लोगों की सुरक्षा बढ़ाई है, 11 की सुरक्षा कम की गई है, 16 लोगों की सुरक्षा वापस ली गई है, वहीं 13 नए लोगों को सुरक्षा दी गई है।

सुरक्षा प्राप्त करने वाले नए लोगों में राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार, और युवा सेना के सचिव वरुण सरदेसाई शामिल हैं। सरदेसाई मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के रिश्तेदार हैं। दोनों को ‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले को ‘एस्कॉर्ट सहित वाई प्लस’ के बजाए केवल ‘वाई-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी, वहीं केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे की ‘वाई-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई है।

सरकार ने पूर्व मंत्री राजकुमार बडोले, भाजपा विधायक प्रसाद लाड और राम कदम तथा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा विधायक हरिभाऊ बागडे की सुरक्षा वापस ले ली है।

मुंबई कांग्रेस के पूर्व प्रमुख कृपाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता शोभाताई फडणवीस की ‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई है। शोभाताई पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चाची हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम की ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा को बढ़ा कर ‘जेड’ और अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा की सुरक्षा ‘वाई प्लस’ से बढ़ा कर ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस’ श्रेणी की कर दी गई है। भाजपा के पूर्व मंत्री आशीष शेलार की सुरक्षा ‘वाई-प्लस’ श्रेणी से घटा कर ‘वाई’ श्रेणी की कर दी गई है।

राज्य विधान परिषद के अध्यक्ष रामराजे नाइक निंबालकर और राहत एवं पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार को ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी, वहीं 2014 के विधानसभा चुनावों में नारायण राणे को हराने वाले शिवसेना के विधायक वैभव नाइक को ‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी।

राज्य के मंत्रियों संदीपन भूमरे, सुनील केदार, दिलीप वल्से पाटिल और अब्दुल सत्तार, विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर और राज्य विधानसभा के उप सभापति नरहरि झिरवाल को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी।

इसबीच, भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता की सुरक्षा ‘‘बदले की राजनीति’’ की तहत घटाई गई है।

उन्होंने कहा,‘‘ यह निर्णय दिखाता है कि सरकार की सोच कैसी है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान फडणवीस राज्य के हर स्थान का दौरा कर रहे थे, जबकि ठाकरे घर में बैठे थे।’’

सरकार के इस निर्णय पर फडणवीस ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं हैं और न ही किसी प्रकार की चिंता है। उन्होंने कहा,‘‘ मैं जनता का आदमी हूं और इससे लोगों से मिलने के लिए होने वाली यात्रा(कार्यक्रमों) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’’

राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उपाध्ये के आरोपों पर नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि नेताओं और प्रमुख लोगों की सुरक्षा की समीक्षा का निर्णय उन पर खतरे के अनुमान के आधार पर किया गया है, इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है