
देश-विदेश में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान चल रहा है। अदालत के फैसले के बाद मंदिर निर्माण की बाधा दूर हो चुकी है। निर्माण के लिए आवश्यक तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह ‘पंकज’ राम मंदिर आंदोलन से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। प्रस्तुत है राजेंद्र सिंह ‘पंकज’ से प्रदीप सिंह की खास बातचीत का संपादित अंश:
प्रश्न: आप अपने घर-परिवार और परिवेश के बारे में बताएं। विश्व हिंदू परिषद से कैसे जुड़े?
राजेंद्र सिंह ‘पंकज’: मेरा जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (देवबंद तहसील) के भयला गांव में एक राजपूत परिवार में हुआ। पिताजी किसान थे और जनसंघ से जुड़े थे। हमारा गांव जिले का सबसे विकसित गांव था। समाज की ताकत क्या होती है इसे आप हमारे गांव की एक घटना से समझ सकते हैं। हमारे गांव में स्कूल नहीं था। गांववासियों ने सोचा कि चंदा इकट्ठा करके कॉलेज बनाया जाए। गांव के किसानों ने जो मुख्यत: गन्ना उत्पादक थे, चीनी मिल को ही दो पैसे मन स्कूल के लिए काटने को कह दिया।
इस तरह गांव के सहयोग से भयला इंटर कॉलेज बना, जिसमें साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स तीनों की पढ़ाई होती थी। आज वह कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट तक हो गया है। इंटर तक उसी कॉलेज में पढ़ाई के बाद सहारनपुर के जैन कॉलेज से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट किया। 1973 में आरएसएस का विस्तारक बन गया और तब से राष्ट्रसेवा में लगा हूं। आपातकाल के दौरान शुरू में भूमिगत रहकर कार्य किया। फिर सत्याग्रह करके जेल गया और 9 महीने जेल में रहा। 1985 में विश्व हिंदू परिषद में आया। वीएचपी का संभाग संगठन मंत्री, केंद्रीय सहमंत्री, बजरंग दल का राष्ट्रीय मंत्री रहा। अभी वीएचपी का केंद्रीय मंत्री का दायित्व निभा रहा हूं।
प्रश्न: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कब और कैसे जुड़े?
राजेंद्र सिंह ‘पंकज’: जैसा कि मैंने पहले बताया कि मेरे पिताजी जनसंघ में थे। इसलिए संघ एवं जनसंघ के नेताओं का घर पर आना-जाना लगा रहता था। हमारे गांव में संघ की शाखा भी लगती थी। 1965-66 की बात है मैं कक्षा-6 में पढ़ता था और गांव में लगने वाली शाखा में मेरे परिवार के कई लोग जाते थे उन्हीं के साथ मैं भी जाने लगा। उस समय हम लोग भूदान का साहित्य पढ़ते थे, तब लगता था कि भूदान से बड़ा कोई काम नहीं है। संघ के संपर्क में आने के बाद लगा कि नहीं देश के सामने और बड़े-बड़े काम हैं, जो होने शेष हैं। मन में राष्ट्र के प्रति सेवाभाव जगने के बाद मेरा संघ से और संघ का मुझसे संबंध-संपर्क गहरा होता गया।
प्रश्न: राम जन्मभूमि आंदोलन से आप कब जुड़े?
राजेंद्र सिंह ‘पंकज’: राम जन्मभूमि आंदोलन से मैं शुरू से ही जुड़ा रहा। जब रामजन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया गया तो उसके अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ बनाए गए, उनके साथ भी काम किया। राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रारम्भ से लेकर अब तक के हर पल का साक्षी रहा। 1990 में मंदिर आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुआ और बलिया जेल में रहा। यह विश्व के हिंदुओं के संघर्ष का परिणाम है कि आज राममंदिर बनने जा रहा है। मंदिर निर्माण के राह के सारे रोड़े हट चुके हैं।
अयोध्या विश्व का अकेला स्थान है जहां अपने आराध्य के लिए 492 वर्ष संघर्ष करना पड़ा। समाज ने इस मुद्दे को कभी भी नेपथ्य में नहीं जाने दिया। राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए अब तक 76 संघर्ष हुए, लगभग साढ़े तीन लाख लोगों ने बलिदान दिया। लेकिन उस बीज को मरने नहीं दिया। 1928 में शक्ति से मंदिर टूटा तो 1992 में समाज के संगठित सहयोग से कलंक मिटा। 1947 में देश को राजनीतिक आजादी मिली थी लेकिन 1992 में सांस्कृतिक मुक्ति अभियान शुरू हुआ। अब राममंदिर का सपना साकार होने जा रहा है। हमारे लिए और हमारी पीढ़ी के लिए यह खुशी की बात है। हमारे लिए यह गौरव की बात है कि जिस आंदोलन से मैं जुड़ा वह आंदोलन सफल हुआ और हमारे जीवनकाल में ही राममंदिर निर्माण पूरा होने जा रहा है।
प्रश्न: राममंदिर निर्माण के लिए जो अनुमानित बजट था उससे ज्यादा चंदा मिल गया है। लेकिन भी तक चंदा लेने के प्रक्रिया बंद नहीं की गयी है। जो पैसा मंदिर निर्माण में खर्च होने से बचेगा उसका क्या होगा ?
राजेंद्र सिंह ‘पंकज’: मंदिर निर्माण के लिए धन एकत्र करने के लिए चंदा लेने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन कितना धन इकट्ठा किया जायेगा, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं रखा गया था। राममंदिर सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहेगा। यह भारत के सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक है। मंदिर और उससे जुड़े प्रकल्प ज्यों आगे बढ़ेंगे भारत का बिखरा समाज एकजुट होता जायेगा। यह देश-समाज के एकजुटता का प्रतीक बी होगा। मंदिर के साथ वहां संग्रहालय, शोध संस्थान आदि भी बनेंगे। वेदों का अध्ययन और मंदिरों के रख-रखाव के लिए छात्रों को प्रशिक्षित किया जायेगा।
प्रश्न: विश्व हिंदू परिषद का मूल कार्य क्या है। क्या हिंदुओं को एकजुट करना या वीएचपी के कार्य के और आयाम हैं?
राजेंद्र सिंह ‘पंकज’: विश्व हिंदू परिषद का काम भारतभूमि पर उद्भूत सभी मत/संप्रदाय को एकजुट करना है। जो भय और लालच के कारण बिछड़ गये हैं उनको फिर से समाज की मुख्यधारा में लाने का कार्य भी विश्व हिंदू परिषद का है। परिषद दुनिया भर में हिंदू जनमानस में चेतना लाने और उनको संगठित करने का कार्य करता है।